लंदन 2014 का नोबेल शांति पुरस्कार बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को संयुक्त रूप से दिया गया है। 17 साल की मलाला सबसे कम उम्र में यह अवॉर्ड पाने वाली शख्सियत बनी हैं।
कैलाश सत्यार्थी ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के जरिए बाल अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करते रहे हैं। वहीं मलाला यूसुफजई भी पाकिस्तान में बच्चों की शिक्षा से जुड़ी रही हैं। वह तालिबान के जानलेवा हमले का भी शिकार हुई थीं।
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि वह नोबेल शांति अवॉर्ड मिलने से बहुत खुश हैं। यह पुरस्कार बच्चों के अधिकारों के लिए हमारे संघर्ष की जीत है। सत्यार्थी ने कहा कि वह नोबेल कमिटी के शुक्रगुजार हैं कि उसने आज के आधुनिक युग में भी दुर्दशा के शिकार लाखों बच्चों की दर्द को पहचाना है।
नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा करने वाली कमिटी ने इस पुरस्कार का ऐलान करते हुए सत्यार्थी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने महात्मा गांधी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है।