आज प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। उनके सहयोगियों को काफी दिनों से इस विस्तार की प्रतीक्षा थी। आज के मंत्रिमंडल का विस्तार इस मामले में महत्वपूर्ण है कि इसमें सिर्फ जदयू नेताओं को ही तवज्जो दी गई है। गठबंधन के सहयोगी भाजपा और लोजपा के किसी भी नेता ने इस मंत्रिमंडल विस्तार में हिस्सा नहीं लिया है।
दो दिन पूर्व केंद्रीय मंत्रिमंडल में उचित सम्मान नहीं मिलने से आहत जदयू नेतृत्व ने शायद भारतीय जनता पार्टी को अपनी भावी रणनीति से आगाह कर दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में उचित स्थान नहीं मिलने से सम्भवतः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी आहत महसूस कर रहे हैं और इसी वजह से उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में कभी भी शामिल नहीं होने की बात कही है।
राज्य मंत्रिमंडल में फिलहाल ग्यारह मंत्री पद रिक्त हैं,परंतु आज के मंत्रिमंडल विस्तार में आठ नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इनमें तीन विधान पार्षद,अशोक चौधरी,संजय झा और नीरज कुमार हैं। जबकि पांच विधायक श्याम रजक, नरेंद्र नारायण यादव,बीमा भारती, रामसेवक सिंह और लक्ष्मेश्वर राय शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा है, क्योंकि इन आठ में दो सवर्ण, दो दलित, दो पिछड़ा और दो अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद गठबंधन के एक घटक लोक जनशक्ति पार्टी ने इस पर नाराजगी जाहिर की है। लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपतिनाथ पारस ने ट्वीट कर इस पर परोक्ष रूप से आपत्ति जताई है।भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा को अपने कोटे के एक मंत्री पद भरने की पेशकश की थी, परंतु भाजपा ने इसे भविष्य में भरने की बात कही है।
केंद्र की मोदी सरकार में जदयू का शामिल न होना और आज प्रदेश के मंत्रिमंडल विस्तार को देखने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दलों में सब कुछ ठीक नहीं है।इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी यदि विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश में कोई नया राजनैतिक समीकरण तैयार हो। संभवतः इस दिशा में खिचड़ी पकनी शुरू हो चुकी है।