(अनुभव की बात, अनुभव के साथ)
टेलीकॉम सचिव अरुण सुंदर राजन ने जानकारी दी है कि 5 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया अगले साल अगस्त तक पूरी होने की संभावना है।साथ ही साथ उन्होंने बताया की 2020 तक देश में 5जी टेलीकॉम सेवा शुरू हो सकती है।निश्चित रूप से यह हमारे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। ये अलग बात है कि,देश के कितने प्रतिशत लोग इसका लाभ ले पाएगें।
मैं अपने आपको मोबाइल का एक पुराना उपभोक्ता मानता हूं।इसकी वजह है कि तब से मैं मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा हूँ,जब काफी कम लोगों के पास यह हुआ करता था।खैर, समय के साथ-साथ मोबाइल स्मार्ट हो गया।अब अधिकांश लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। शुरुआती दौर में जब मैंने मोबाइल का इस्तेमाल शुरू किया था,तब पाँच सौ रुपये के रिचार्ज कराने पर शायद 220 या 240 का बैलेंस मिला करता था।ऊपर से इनकमिंग पर भी पैसे लगते थे।फोन करना काफी महंगा हुआ करता था।उस हिसाब से आज स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना काफी सस्ता लगता है।तब इंटरनेट सुविधा भी नहीं हुआ करती थी।आज स्मार्टफोन ने हम सबों को स्मार्ट बना दिया है।शानदार कैमरा,मेल की सुविधा,फेसबुक,वाट्सएप और भी काफी कुछ।सचमुच अब दुनिया अपनी मुट्ठी में लगती है। हमने अपने सामने 2जी को देखा, 3जी देखा और अब 4जी का इस्तेमाल कर रहे हैं। टेलीकॉम सचिव की जानकारी के अनुसार जल्द ही हम 5जी की सुविधा को भी देख पाएंगे। ऐसे वर्तमान समय में हम 4जी का इस्तेमाल कर रहे हैं।लेकिन सोचने वाली बात यह है कि,क्या सचमुच हमें कंपनियां 4जी की सुविधा दे रही है ?मैं अपने पास दो स्मार्टफोन रखता हूं। एक में रिलायंस कंपनी की जियो 4जी सेवा का इस्तेमाल करता हूं,जबकि दूसरे में वोडाफोन के 4जी सेवा का इस्तेमाल करता हूं। पिछले कुछ दिनों से मैं और मेरे जैसे कई उपभोक्ता परेशान हैं। जहाँ रिलायंस जिओ के नेटवर्क की स्थिति काफी बुरी है, वहीं वोडाफोन 4G कहां उपलब्ध है यह पता नहीं चल पाता है। कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि एयरटेल की 4जी सेवा काफी अच्छी है। मेरे एक मित्र एयरटेल का इस्तेमाल करते हैं।मैंने उनसे जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि उनके घर पर तो अच्छा नेटवर्क रहता है परंतु जब घर के आस- पास जाते हैं तो वो भी बेकार हो जाता है।आखिर यह क्या हो रहा है ? हमारे जैसे करोड़ो उपभोक्ता एडवांस में सेवा इस्तेमाल करने के पैसे देते हैं।क्या हम सब बेवकूफ बन रहे हैं ? क्या टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई या फिर हमारी सरकार की ये जवाबदेही नहीं बनती कि देश के करोड़ों उपभोक्ताओं के पैसे लेकर उचित सेवा उपलब्ध नहीं करवाने पर कंपनियों पर कार्रवाई की जाए।उपभोक्ताओं के पैसे से चलने वाली कंपनियों के लिए हमारे देश में क्या कोई कानून नहीं है ? आखिर कब तक उपभोक्ता पैसे देकर नेटवर्क की तलाश में छत की सीढ़ियां चढ़ते रहेंगे ?
हमारी सरकार शायद करोड़ों देशवासियों की नहीं,चंद कंपनियों के लाभ की चिंता करती है।यदि ऐसा नहीं होता तो हमारी सरकारी कंपनी, भारत संचार निगम लिमिटेड देश की सबसे बेहतर सेवा प्रदान करने वाली टेलीकॉम कंपनी होती।सरकार को चाहिए कि पहले वह 3जी और 4जी सेवा देने वाली कंपनियों को सेवा बेहतर उपलब्ध कराने की चेतावनी दे।अन्यथा एक बार फिर उपभोक्ता 5जी के चक्कर में इन कंपनियों द्वारा बेवकूफ बनने वाले हैं।