बेतिया (सतेंद्र पाठक)। प0 चंपारण उर्दू-बाँग्ला शिक्षक संघ जिला इकाई के सचिव तारिक हुसैन ने ईद उल फितर एवं आखिरी जुम्मे को लेकर सभी शिक्षको को ईद उल फितर की हार्दिक बधाई दिया। इस रमज़ान के आखरी जुमे यानी जुमातुल अलविदा की नमाज़ के लिए। शहर मस्जिद में बाद नमाज़े जुमा बहुत आजज़ी और इनकेसारी के साथ जहा एक तरफ इस पाक व मुकद्दस महीना रमज़ान के रुखसत होने तो दूसरी तरफ जाने अनजाने में सर्ज़द हुई गलतियों की माफी के लिये बारगाहे तआला में दुआएं माँगी गयी। दुआ में अलविदा व अलविदा, माहे रमज़ान अलविदा की सदा से मस्जिद गूंजती रही। रमजान रमज़ का मुश्तक है। जिसका मानी है जला देना। यह महीना अल्लाह तआला के तरफ से अज़ीम तोहफा है। इस लिए उम्मते मुसलमा के हर फर्द को चाहिए की अपने इबादत रेयासत और तौबा व इस्तगफर से अपने-अपने गुनाहों को जला डाले अल्लाह तआला इस महीने में सबसे मतबरख किताब कुराने करीम अपने प्यारे हबीब मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम पर नाजिल फरमाया जो तमाम इंसानों के लिए हिदायत है। इस बातों का इजहार आखरी जुम्मे के अवसर पर उर्दू-बाँग्ला शिक्षक संघ के सचिव तारिक हुसैन ने किया। उन्होंने आगे कहा कि मुहम्मद सल्लाहो अलैहे व सल्लम रमज़ान की तैयारी शाबान ही से शुरू कर देते थे और फरमाते थे की ऐ लोगों तुम्हारे उपर एक ऐसा महीना आने वाला है जिसका पहला हिस्सा रहमत का औऱ दूसरा हिस्सा मगफिरत और तीसरा हिस्सा आग से खलासी का है और जहन्नम से निजात का असरा है। इस महीने में नफ्ल का सवाब फ़र्ज़ के बराबर है और फ़र्ज़ का सवाब सत्तर फ़र्ज़ के बराबर मिलता है। इस महिने में रोज़ा फ़र्ज़ है। रोज़ कहते हैं सुबह सादिक़ से लेकर गुरुबे अफताब तक खाने पीने और बीवी से हम बिस्तरी से रुक जाने तक को कहते हैं। इसका मक़सूद यह है के आदमी के अंदर सबर और गमखारी वे हमदर्दी अहसास पैदा हो जाय। अल्लाह तआला इस महीने में मोमिन का रिज़्क़ बढ़ा देता है। अल्लाह तआला हमलोगों को रमज़ानुल मुबारक कद्रदानी नशीब फरमाय। ( आमीन ) और गुनाहों से तौबा की तौफ़ीक़ मरहमत फरमाय ( आमीन )। वही इस मौके पर संघ के अध्यक्ष मो0 फिरोज आलम, संयोजक मो0 फरहाद सहित कई उपस्थित रहे।