
बिहार विधान सभा की लोक लेखा समिति के सभापति और वरिष्ठ भाजपा नेता श्री नंदकिषोर यादव ने कहा है कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनते ही मानव तस्करों की बांछें खिल उठी हैं। बच्चे-बच्चियों को बहला-फुसला कर अगवाकर उसकी खरीद-विक्री के धंधे ने जोर पकड़ लिया है। एनडीए के शासन काल में इस प्रकार के गिरोह का कोई अता-पता नहीं था।
श्री यादव ने आज यहां कहा कि महागठबंधन सरकार के शासन काल में मात्र एक वर्ष के भीतर 3037 लड़कियों और सैंकड़ों बच्चों का रहस्यपूर्ण तरीके से गायब होना बताता है कि राज्य में पनपा यह नया कारोबार कितना जोर पकड़ रहा है। पटना सिटी से गायब लड़की का मानव तस्करी का खुलासा सरकार की आंख खोल देने वाला है। नेषनल क्राइम ब्यूरो का आंकड़ा बताता है कि सन् 2016 में नीतीष राज में बिहार से 3037 लड़कियां गायब हुई। जबकि 2013 से जनवरी 2014 के बीच गुमषुदगी के 2674 मामले दर्ज हुए। यही नहीं राज्य में प्रति माह चार हजार बच्चे ट्रैफिकिंग के षिकार हो रहे हैं। महागठबंधन के शासन काल में राज्य में चरमरायी विधि व्यवस्था और बेकाबू अपराध के बीच मानव तस्करी का धंधा अपराध की दुनिया में एक नये इतिहास की रचना कर रहा है।
श्री यादव ने कहा कि बीते सप्ताह ही राजस्थान सरकार ने 159 बिहारी बच्चों को बरामद कर यहां भेजा था। जिसमें 52 गया के और 39 समस्तीपुर के थे। शेष भागलपुर, जमुई, जहानाबाद, चम्पारण, सीतामढ़ी, कटिहार और मधुबनी के थे। इसी अवधि में 20 बच्चों को दिल्ली से मुक्त कराया गया है। दिसम्बर 2016 में पटना सिटी से अपहृत दो बालिकाओं में से आगरा से बरामद और तीन बार बिक्री की षिकार एक लड़की का बयान मानव तस्करों के कुकृत्य पर से परदा उठाने वाला है। पटना सिटी के अगवा एक बच्ची को तो उत्तर प्रदेष के एटा में मानव तस्करों ने मौत की नींद सुला दी। मानव तस्करी और बच्चों की ट्रैफिंकिंग रोकने में सरकार की विफलता उजागर हो चुकी है। हालात ऐसे बन रहे है कि अब हर घर में माता-पिता को अपने बेटे-बेटियों के सकुषल घर पहुंचने की चिंता बनी रहती है। ऐसे हालात में मुख्यमंत्री का कानून राज का दावा झूठा है।
