पटना : अब चर्चा यही है कि उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया, अगर दीपक नाले में गिरा तो कहां गया है. बीते सात दिनों से एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और नगर निगम की टीम नाले की खाक छान रही है. एक-एक जगह पर नाले को कई बाद साफ किया जा रहा है.
अब एनडीआरएफ के बजाय नगर निगम के कर्मी नाले के भीतर जाकर सर्च अभियान चला रहे हैं, लेकिन दीपक है कि मिलने का नाम नहीं ले रहा है. नाले से जब भी कोई बड़ी वस्तु निकलती है, कोई मरा हुआ जानवर निकलता है, तो अचानक से लोगों को एक उम्मीद बंधती है कि दीपक मिल गया, मगर थोड़ी देर बाद ही फिर से उदासी छा जाती है.
कुल मिला कर अब तक के अभियान का फलसफा यही है कि दीपक का कोई पता नहीं चल सका है. घटना के बाद अब तक 180 घंटे बीत चुके हैं. गौरतलब है कि 17 नवंबर को दोपहर सवा एक बजे लगभग राजेश पथ पर दीघा-आर ब्लॉक रेलखंड के पास बने संप के चैंबर में 10 वर्षीय दीपक डूब गया था.
सातवें दिन 300 मीटर पर तीसरी जगह खोदी गयी सड़क : जिलाधिकारी कुमार रवि के निर्देश के बाद शुक्रवार को भी सर्च अभियान जारी रखा गया.संप हाउस के आउटफॉल से लगभग तीन सौ मीटर दूर राजेश पथ और एसकेपुरी के मोड़ के पास सड़क को एक और जगह तोड़ा गया. दोपहर के लगभग सवा एक बजे जेसीबी से सड़क खोदने की शुरुआत की गयी. दो घंटे तक सड़क काटने के बाद नाला निकला.
इसके बाद एक घंटे तक नाले की सफाई की गयी. फिर चार बजे के लगभग निगम कर्मी अनिल कुमार ने नाले में प्रवेश किया. उसके साथ सिविल डिफेंस के राजेश कुमार मदद कर रहे थे. अनिल नाले के अंदर 20 फुट तक अंदर संप की तरफ गया, लेकिन पहली बार में जो सड़क गुरुवार को काटी गयी थी, वहां तक नहीं जा सका.
बाहर निकले अनिल में बताया कि आगे विशेष गंदगी नहीं है. थोड़ी दूर पर पाइप लाइन जा रही है, वहां गंदगी है जिसे निकालने का काम किया जा रहा. मगर जितना खोजा गया है, उसमें दीपक का कोई सुराग नहीं मिला. गौरतलब है कि शुक्रवार को जिलाधिकारी ने चिल्ड्रेन पार्क तक सर्च अभियान चलाने का निर्देश दिया था.
नगर निगम के अधिकारी विशाल आनंद का कहना है कि जब तक आला अधिकारियों के निर्देश मिलते रहेंगे, तब तक दीपक को खोजने की कार्रवाई होती रहेगी. सहदेव महतो मार्ग में भी सड़क तोड़ कर नाले को खोला जायेगा. हालांकि इसके बाद अभियान मुख्य सड़क पर आ जायेगा,तो इसमें ट्रैफिक पुलिस की मदद लेगी होगी.
वहीं दूसरी तरफ निगम अपने सात दिनों की कार्रवाई का संयुक्त कार्रवाई प्रतिवेदन की रूप रेखा तैयार कर रहा है. निगम के अभियंता अविनाश कुमार नजरीय नक्शा के आधार पर घटना से लेकर अब तक कितनी कार्रवाई की गयी, इसकी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. अंदाजा है कि निगम की 15 लाख से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है.
बीआरजेपी नहीं नगर निगम की थी सफाई की जिम्मेदारी
पटना : इधर घटना के पहले दिन से ही चल रहे नाला सफाई के विवाद का मामला साफ हो गया. जानकारी के अनुसार जिस संप के आउटफाल में दीपक गिरा था, उसके सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम की ही थी. जिसे निर्माण के लगभग 40 वर्षों के बाद साफ नहीं किया गया था.
गुरुवार की रात जब जिलाधिकारी कुमार रवि उस घटना की समीक्षा कर रहे थे, तो उसे सरकार के एक पुराने आदेश का लेटर लाया गया. सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि केवल संप का संचालन बिहार राज्य जल पर्षद की ओर से किया जायेगा. नाले या संप के बाद आउटफाॅल से बड़े नाले तक जाने वाले नाले की सफाई की जिम्मेदारी निगम की है.
डीएम ने कहा कि स्पष्ट है कि नाला साफ करने की जिम्मेदारी निगम है, इसमें बीआरजेपी की भूमिका नहीं है. गौरतलब है कि बीते शनिवार को घटना के बाद निगम के आला अधिकारी सफाई की जिम्मेदारी बीआरजेपी पर डाल रहे थे, जबकि बीआरजेपी की ओर से नगर निगम को नाला साफ करने का जिम्मेदार माना जा रहा था.
अब आगे क्या
अब आगे नगर निगम की कोई स्पष्ट नीति नहीं है. उप नगर आयुक्त विशाल आनंद के अनुसार अब तक हुई कार्रवाई का संयुक्त प्रतिवेदन तैयार कर जिलाधिकारी को सौंप दिया गया है. दीपक को खोजने की कार्रवाई जारी रहेगी. इसकी संभावना है कि और आगे सड़क पंचर कर बच्चे को खोजा जाये.
अब भी अबूझ पहेली है नाला
भले ही नगर निगम ने संप से लेकर आनंदपुरी नाला तक जाने वाले अंडरग्राउंड नाला का नजरीय नक्शा तैयार किया है. मगर सड़क पर नाले की वास्तविक स्थिति क्या है, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. निगम ने जितनी दूर तक सड़क तोड़ कर नाले को खोला है, उतनी दूर की स्थिति मिल रही है.
आगे नाला कैसा है, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है. नाले के भीतर जाने वाले निगम कर्मी अनिल ने बताया कि अब संप के आउटफॉल की तरफ स्थिति स्पष्ट है, लेकिन चिल्ड्रेन पार्क की तरफ क्या स्थिति है, इसका अंदाजा नहीं मिला रहा है.
आखिर दोषी कौन
वैसे तो इस घटना को लेकर सीधे तौर पर किसी विभाग को दोषी नहीं कहा जा सकता है. लेकिन वहां सुरक्षा की जिम्मेदारी नगर निगम और बीआरजेपी दोनों की थी. जब पहले से वहां घटना होती आयी है तो आखिर क्यों नहीं उन आउटफॉल को कवर करने का काम किया गया. अगर गलत तरीके से लोगों ने रास्ता बना दिया था तो स्थानीय जनप्रतिनिधि क्या कर रहे थे. इसके आलावा घटना की सामान्तर रूप से पुलिसिया जांच क्यों नहीं चल रही है. गुरुवार को खोजी कुत्ता से दीपक के उस आउटफॉल तक आने की पुष्टि करती है. मगर इसके आगे क्या हुआ इसका पता क्यों नहीं चल रहा है.
