चर्चित समाजसेवी सुभाष ईश्वर कंगन की कलम से पढ़िए पुरूष प्रधान समाज में बेटियों को आत्मनिर्भर होना क्यों जरूरी है

मित्रों आज हर घर की ये सच्ची घटना है,परिवार कितना धनी क्यों ना हो उनके घर में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है,बड़ा घर और हर चीज़ की सुविधा के साथ सोने-चाँदी से सजी महिलायें भी आत्मनिर्भर नहीं है वो कभी भी आत्मसम्मान नहीं पा सकती है,इसलिये मैं उन सभी बेटीयों से कहता हूँ कि तुम खुब पढ़ो और अपने पैरों पर खड़ी हो,आत्मनिर्भर बनो…

जब चाहो कुछ नहीं पाओ , क्योंकि सारी सम्पत्ति का अधिकार केवल घर के मुखिया को है,वो जहाँ चाहे वहाँ अपना पैसा खर्च करेंगे वो जब चाहेंगें तभी घुमाने लेकर जाएंगे,वो भी अपनी मर्ज़ी से,मित्रों मैं अपने घर या और कई घरों में देखा है घर का सारा काम करके जेवर पहन कर घर की शोभा बेचारी बढ़ाती हैं,जब मन में आए मारपीट भी उन बेचारी के साथ कर लेते हैं साथ ही उन बेचारी के माँ पिताजी का भी बेइज्जती भी कर देते हैं,जैसे कि घर की औरत इंसान तो है ही नही,मेरी माँ नौकरी में थी अभी कुछ दिन पहले सेवा से नीबिर्त हुई हैं,आत्मनिर्भरता के साथ खुद कमा रही है किसकी हिम्मत हमारे माँ को घर में कोई गाली या हाथ उठाये..घर के लोग सोचते हैं एक गृहणी का क्या औकाद क्या करेंगी ? ज्यादा से ज्यादा रो कर शांत हो जाएँगी…मैं समाज के हर बेटी से कहता हूँ एक गृहणी बनकर, एक धनी परिवार में शादी कर के दुसरे के अधीन जिंदगी नहीं जीना, जहाँ तेरे आत्मसम्मान की अहमियत ना हो,समाज की हर बेटी को पढ़-लिख कर शिक्षित होना है और एक आत्मनिर्भर लड़की बनना है,तभी मेरे समाज के सभी बेटियां का सम्मान होगा,बेटा हो या बेटी काम-काजी बनो हमेशा के लिए आत्मनिर्रभरता और आत्म विश्वास का पात्र बनो…

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