(अनुभव की बात, अनुभव के साथ)
लालू परिवार की परेशानी थमने का नाम नहीं ले रही है। लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण में अपनी उपेक्षा से नाराज लालू यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने आखिर सोमवार को राजद से अलग राजनीतिक मोर्चा बनाने की घोषणा करते हुए लालू- राबड़ी मोर्चा के नाम से मोर्चा की घोषणा के साथ ही साथ इस मोर्चा के द्वारा राजद प्रत्याशी के खिलाफ ही अपने चार प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी। इतना ही नहीं तेज प्रताप ने कहा कि जरूरत पड़ी तो अन्य लोकसभा क्षेत्र से भी वह लालू- राबड़ी मोर्चा के बैनर तले अपना अलग उम्मीदवार उतारेंगे।मौके पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए तेज प्रताप ने कहा कि उन्हें पिता लालू प्रसाद यादव और मां राबड़ी देवी का आशीर्वाद प्राप्त है। साथ ही उन्होंने अपने अनुज तेजस्वी यादव का विरोध नहीं किया है। उन्होंने इतना जरूर कहा कि तेजस्वी बच्चा नहीं हैं,उनके आसपास उलुल-जलूल लोग रहते हैं।उन्होंने सारण सीट को अपनी पुश्तैनी सीट बताया और वहां से राजद प्रत्याशी अपने ससुर चंद्रिका राय का विरोध करते हुए अपनी मां को वहां से खड़े होने का आग्रह किया।उनके नहीं खड़े होने कि स्थिति में उन्होंने वहां से स्वयं खड़े होने की बात भी कही है।
ऐसा लग रहा है जैसे तेज प्रताप यादव राष्ट्रीय जनता दल में अपनी कम होती हैसियत से परेशान हैं। उन्हें राजद पर से अपनी पकड़ ढीली होती नजर आ रही है।लालू, राबड़ी और राजद के वारिश के तौर पर तेजस्वी यादव स्थापित होते जा रहे हैं। संभव है यह सब तेजप्रताप को बुरी तरह खल रहा है। लेकिन दूसरी ओर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इन सब के लिए तेजप्रताप स्वयं जिम्मेदार हैं।वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि तेज प्रताप यादव की वजह से कई बार लालू प्रसाद का परिवार असहज हो गया है। तेजस्वी यादव ने समय रहते सूझबूझ से यदि पार्टी की कमान नहीं संभाली होती तो निश्चित रुप से लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में राष्ट्रीय जनता दल बिखर गया होता।अब अंदर की बात क्या है,यह तो लालू परिवार ही जानें।लेकिन तेजस्वी यादव को भी चाहिए था कि टिकट बंटवारे में तेज प्रताप से भी सलाह ली होती।
यह कहना गलत नहीं होगा कि तेज प्रताप के इस प्रकार अलग राजनीतिक मोर्चा बनाने और अलग उम्मीदवार खड़े करने से महागठबंधन को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि तेज प्रताप ने भी जिन उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, उनका अपने-अपने क्षेत्र में अच्छा खासा प्रभाव है और वो महागठबंधन के प्रत्याशी को काफी नुकसान पहुंचाएंगे।भले ही तेज प्रताप के मोर्चा के प्रत्याशी जीत हासिल ना करें लेकिन वो महागठबंधन के प्रत्याशी को हराने में सक्षम हैं।
अभी भी वक्त है,तेज प्रताप को समझना होगा कि वह इस प्रकार से किसका फायदा,किसका नुकसान कर रहे हैं।ऐसा कर वो स्वयं का,राजद का,महागठबंधन का नुकसान कर रहे हैं या फिर राजग और भाजपा को लाभ पहुंचा रहे हैं ?