अनुभव की बात,अनुभव के साथ – क्यूँ न निजी गाड़ियों पर लगाया जाए प्रतिबन्ध

                          अनुभव

कुछ समस्याएं विकराल रूप से हमें घेरती जा रही हैं,जिससे आने वाले समय में भारी तबाही मचने की संभावना है। जिन समस्याओं में प्रमुख हैं प्रदूषण, जाम, दुर्घटना और पेट्रोलियम पदार्थों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता। प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिससे पूरा विश्व परेशान है। बीमारियां बढ़ती जा रही है और लोगों की आयु घटती जा रही है। जाम की समस्या एक ऐसी समस्या हो गई है जो महानगरों से होते-होते अब छोटे शहरों और गांवों तक पहुंच गई है। मुंबई और बैंगलोर से बढ़ती हुई यह समस्या पटना, गया, बेगूसराय, भागलपुर के बाद अब छोटे शहरों बाढ, मोकामा, लक्खीसराय और हर जगह बढ़ती ही जा रही है।कहीं भी आना जाना काफी कठिन हो गया है।

 

दो घंटे का सफर तय करने में छह घंटे लग रहे हैं। शहरों में पार्किंग एक अलग ही समस्या हो गई है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से अब इतनी जगह है नहीं की गाड़ी आसानी से कहीं भी पार्क किया जा सके।मोटर गाड़ियों की भीड़ होने की वजह से सड़क दुर्घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है सो अलग।

मतलब मोटर गाड़ियों की बढ़ती संख्या ने लोगों को जितनी सुविधा दी है, उससे कहीं अधिक समस्या उत्पन्न करके रख दी है। वजह भी है, हम सब देख रहे हैं कि जिन मोहल्लों में पहले इक्का-दुक्का गाड़ियां होती थी, आज वहां सैकड़ों की संख्या में गाड़ियां हैं। जिन घरों में पहले कोई गाड़ी नहीं थी, आज उस घर के प्रत्येक सदस्य के पास अपनी-अपनी गाड़ी है। वैसे भी कई घर हैं,जहां इंसान से ज्यादा गाड़ियां ही हैं। बैंक अब इतनी आसानी से गाड़ी फाइनेंस कर रहे हैं कि कोई भी गाड़ी ले सकता है।

जिस तीव्र गति से देश की आबादी बढ़ी है,उसी तेजी से गाड़ियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। गाड़ियों की बढ़ती हुई संख्या ने एक विकट समस्या उत्पन्न कर दी है, जिस पर यदि समय रहते नियंत्रण नहीं पाया गया तो भारी तबाही मचनी तय है।एक ही कार्यालय में काम करने वाले दस लोग अलग-अलग अपनी-अपनी गाड़ियों में आ रहे हैं,एक ही गंतव्य तक जाने वाले पांच लोग अलग-अलग अपनी-अपनी गाड़ियों से यात्रा कर रहे हैं।इस पर एक सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है। आज नहीं तो कल गाड़ियों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए कानून बनाना हमारी मजबूरी होगी।

लेकिन उससे पहले हमारी सरकार को इस पर ईमानदारी पूर्वक ध्यान देते हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को विकसित करना होगा।महानगरों से लेकर छोटे गांवों तक यदि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को विकसित कर लोगों को एक बेहतरीन विकल्प दिया जाए और फिर धीरे-धीरे निजी गाड़ियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाए तो आने वाले समय में एक साथ कई समस्याओं से काफी हद तक निजात पाया जा सकता है।जाम, प्रदूषण,दुर्घटना और पेट्रोलियम पदार्थों के लिए दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता की जो समस्या है,उस पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।सरकार क्या,हम सब लोगों को भी इस पर विचार करना चाहिए और अधिक से अधिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए।

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