गृह मंत्रालय द्वारा “वीडियो कॉल ऐप जूम सुरक्षित नहीं है” कि एडवाइजरी के बाद भी कई निजी स्कूल धड़ल्ले से कर रहे हैं इस्तेमाल

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ऐप्लिकेशन जूम के लिए भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी की है. सरकार ने इस ऐप को सुरक्षा के लिहाज से सही नहीं बताया है.

वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर पुरे देश में लॉक डाउन है. ऐसे में विभिन्न सरकारी विभागों से लेकर निजी कंपनियां अपने काम को लेकर विडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा अपने कर्मियों से संपर्क कर रही थी. एक दूसरे से जुड़ने के लिए लोग वीडियो कॉल का इस्तेमाल कर रहे थे. पर गृह मंत्रालय की ओर से इस एप्प को लेकर एडवाइजरी जारी करने के बाद इस पर अधिकतर लोगों ने इस एप्प का इस्तेमाल बंद कर दिया है.

पिछले दिनों वीडियो कॉलिंग/कॉन्फ्रेंसिंग ऐप ज़ूम के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से एडवाइज़री जारी की गई, जिसमें कहा गया है कि ये ऐप सुरक्षित नहीं है, ऐसे में लोग इसका सावधानी से इस्तेमाल करें. इसके बावजूद भी कई निजी विद्यालय धड़ल्ले से ज़ूम एप्प का इस्तेमाल कर रहे हैं और साथ में यह एप्प बच्चों के द्वारा अभिभावक के मोबाइल पर भी इनस्टॉल करा रहे हैं. अब गंभीर बात यह है कि इसमें इस एप्प को इस्तेमाल करने की जो एडवाइजरी दी गयी है उसका इस्तेमाल और पालन कितने लोग कर रहे हैं. चुकी यदि कोई मोबाइल यूजर तकनिकी रूप से अगर एक्सपर्ट नहीं रहा तो मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है. अगर इस एप्प का इस्तेमाल गाइडलाइन के अनुसार हो रहा है तब तो सही है. लेकिन यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो ऐसा करने से रोकना होगा.

महत्वपूर्ण बात यह है कि ऑनलाइन पढाई कराने की अचानक आवश्यकता क्यों पड़ गयी ? साल में गर्मी, बरसात और ठण्ड की छुट्टियाँ तो महीनों होती थी, तब यह क्यों नहीं होता था, जबकि अभी सेशन की शुरुआत हुए महज १५ दिन हुए हैं. यहाँ मामला यह है कि बच्चों की फीस के लिए ऐसे नियम की बात कही जा रही है की जो स्कूल ऑनलाइन पढाई करायेगी उसे हीं फीस लेने की इजाजत होगी. हो सकता है कि यह सब महज फीस लेने के लिए ऑनलाइन पढाई कराया जा रहा हो. अब दुसरी महत्वपूर्ण बात है कि जिन बच्चों के अभिभावक के पास या विद्यालय के पास ऐसी व्यवस्था नहीं है वो क्या करेंगे. क्या उन बच्चों को पढने का या उस विद्यालय के शिक्षक को वेतन का अधिकार नहीं होगा ? जो बच्चे ऑनलाइन नहीं पढेंगे क्या उन बच्चों का सिलेबस पूरा नहीं कराया जायेगा ? फिर निजी सुरक्षा को लेकर इतना बड़ा मजाक क्यों ?

गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया कि सरकार ने पहले भी 6 फरवरी, 30 मार्च को इसको लेकर जानकारी दी थी, ऐसे में लोग इसपर सतर्कता बरतें.

चुकि सरकार ने इस पर पूरी तरह से बैन नहीं लगाया इसलिए सिर्फ एडवाइजरी जारी कर कहा है कि लोग अगर इसका इस्तेमाल कर भी रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें. लगातार पासवर्ड बदलते रहें, कॉन्फ्रेंस कॉल में किसी को अनुमति देते हुए सतर्कता बरतें.

ज़ूम पर बात करने के लिए गृह मंत्रालय ने ये सुझाव दिए हैं, जिनका पालन कर सतर्कता बरती जा सकती है:

• हर मीटिंग के लिए नई यूजर आईडी, पासवर्ड का इस्तेमाल करें.

• वेटिंग रूम को एनेबल करें, ताकि कोई भी यूजर तभी कॉल में शामिल हो सके जब कॉन्फ्रेंस करने वाला अनुमति दे.

• ज्वाइन ऑप्शन को डिसऐबल कर दें.

• स्क्रीन शेयरिंग का ऑप्शन सिर्फ होस्ट के पास रखें.

• किसी व्यक्ति के लिए रिज्वाइन का ऑप्शन बंद रखें.

• फाइल ट्रांसफर के ऑप्शन का कम से कम इस्तेमाल करें.

गौरतलब है कि जब से देश में लॉकडाउन लागू हुआ है, तभी से अधिकतर लोग अपने घरों में बंद हैं. अधिकतर दफ्तरों ने वर्क फ्रॉम होम का सिस्टम भी शुरू किया है, इस बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, वीडियो कॉल का चलन बढ़ा है. कई दफ्तर और लोग जूम ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन समय-समय पर इसकी सुरक्षा पर सवाल भी खड़े हुए हैं.

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