लॉकडाउन- बड़ी मुसीबत व्यवसायियों के लिए, क्या कहते हैं युवा व्यवसायी अभिषेक सिंह

बिहार के युवा व्यवसायी कुमार अभिषेक सिंह की कलम से

सरकार उद्योगपतियों व व्यापारियों से 12% से 18% व 28% ,तक GST चार्ज करती है और लक्जरी गाड़ियों व कई अन्य प्रोडक्ट पर GST 28% से भी अधिक है । एक व्यापारी के द्वारा सामान का बिल बनाते ही GST लग जाता है और यह 15-20 दिनों के भीतर सरकार को जमा करवाना पड़ता है, चाहे उस व्यापारी/उद्योगपति के माल के बिल की पैमेंट आई हो या नहीं, सरकार को इससे कोई मतलब नहीं है ।
एक व्यापारी/उद्योगपति अपनी स्वयं की पूंजी लगाकर या बैंकों से ब्याज पर पैसा लेकर व्यापार करता है, बिल्डिंग किराए पर लेता है, तब भी सरकार को 18% GST देता है, और जो माल बनाकर बेचता है, उस पर 12% ,18%, 28% व इससे भी अधिक GST सरकार को देता है, एक उधोगपति/व्यापारी मुश्किल से 2% से 5 या 7% तक ही कमाता होगा, लेकिन सरकार उसके माल की बिक्री पर डारैक्ट हिस्सेदार बनी हुई है । यदि किसी व्यापारी को घाटा भी हो गया, तो भी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह केवल प्रॉफिट की हिस्सेदार है ।

अब सरकार व्यापारियों/उद्योगपतियों से कह रही है, कि वह अपने एम्प्लाइज को लॉक डाउन के समय की सेलरी का भुगतान भी करे, जो कि सवर्था अनुचित है, सरकार को उस व्यापारी ने सारी जिंदगी कमाकर (GST व इन्कम टैक्स के रूप में ) दिया है, और सरकार उसके बेचे हुए माल में डारैक्ट हिस्सेदार रही है, तो आज मुसीबत के समय एम्प्लाइज को सेलरी देने में क्यों नहीं आगे आती व बिजली के फिक्स चार्जेस पूरी तरह माफ करने की घोषणा क्यों नहीं करती ?

इसके अलावा सरकार ने इंडस्ट्री को पुनः खोलने के लिए काला कानून बना दिया है कि आप इंडस्ट्री तो खोल सकते हैं, लेकिन उन्हें अपने एम्प्लाइज को अपने फैक्ट्री परिसर में ही रखना होगा यानी उनके खाने व रहने का इंतजाम करना होगा । यदि कोई एम्प्लाइज कोरोना पॉजिटिव पाया गया तो, फैक्ट्री मालिक के खिलाफ FIR करवाई जाएगी । क्या कोरोना की बीमारी के लिए व्यापारी/उधोगपति ही जुम्मेवार हैं ?
क्या सरकार इस दौरान बने व बिक्री किए माल पर अपनी GST की हिस्सेदारी छोड़ देगी ?
जब सरकार पूरा टैक्स (GST/INCOME TAX) वसूल करेगी, तो कामधेनु गाय की भांति सारा दिन सरकार के खजाने को भरने वाले उधोगपतियों व व्यापारियों के खिलाफ ही FIR क्यों होनी चाहिए ?

एक महीने में व्यापार बन्द होने के कारण सरकार को अपना खजाना खाली होता नजर आ रहा है, तो व्यापारियों के पास क्या कोई कुबेर का खजाना गड़ा रखा है, जो बिना कार्य कराए, एम्प्लाइज को पैसे बांटते रहें ।

सबसे हाई-रिस्क जोन में कार्य करने वाले अस्पतालों के डॉक्टरों, नर्सों, कम्पोउंडरो, पैरा-मेडिकल स्टॉफ, अस्पताल के सफाई व अन्य कर्मचारियों को उसी परिसर में रोकने के इंतजाम ही सरकार के पास नहीं है, जबकि सरकार को हाई रिस्क जोन में कार्य करने वालो को वहीं रोकना चाहिए, उन्हें भोजन व रहने की सुविधा देनी चाहिए व रिस्क को मद्देनजर रखते हुए उन्हें घरों में नही जाने देना चाहिए । क्यों उन्हें छूटी के बाद घर भेज दिया जाता है ।

इसी प्रकार बिजली विभाग, वॉटर सप्लाई, कूड़ा उठाने वाले, सफाई कर्मचारी व अन्य सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को भी वहीं खाने व रहने का इंतजाम सरकार को करना चाहिए, क्यों उन्हें सांय छूटी के बाद घर भेजा जाता है ।

अतः यदि आप वास्तव में उद्योगपतियों के हितैषी हैं और समझते हैं कि हर उद्योगपति व व्यापारी के व्यापार में आपकी GST व अन्य टैक्सों के रूप में हिस्सेदारी है, तो प्रॉफिट के पार्टनर होते हुए उसकी समस्याओं को भी समझें और निम्नलिखित पर तुरन्त पुनः विचार करें :-

  • 1. लॉक डाउन पीरियड की एम्प्लाइज की सैलरी सरकार देवें ।
  • 2. बिजली के बिलों के फिक्स चार्जिस मार्च से आगे तक पूरी तरह से माफ किए जाएं , कब तक व्यापार रूटीन में न आए ।
  • 3. फैक्ट्री खोलने के लिए एम्प्लाइज को फैक्ट्री परिसर में ही खाने व रहने की क्लॉज समाप्त की जाए ।
  • 4. अगर कोई एम्प्लाइज कोरोना पॉजिटव है, तो उसकी जुम्मेवारी फैक्ट्री मालिक या दुकानदार की नहीं होगी, उसके लिए फैक्ट्री मालिक के खिलाफ FIR दर्ज करवाने के प्रावधान को तुरन्त समाप्त किया जाए ।
  • 5. अफसरशाही व इंस्पेक्टर राज को समाप्त किया जाए ।

यदि छोटे उधोगपतियों/व्यवसायियों को राहत नहीं दी गई , तो हमारे यहाँ की इंडस्ट्रीज व अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा और चीन की चाल अवश्य की कामयाब हो जाएगी और केवल चीन का माल ही बाजारों में पुनः बिकना शुरू हो जाएगा ।

(ये लेखक / व्यवसायी के अपने निजी विचार हैं)

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