यहाँ नीम के पेड़ में विराजती है_माता

बिहार के सारण जिला का एक अनुमंडल है यह शहर पहले तो औद्योगिक क्षेत्र था। पूरे देश में ओडिसा के बाद दूसरा चीनी मील की स्थापना 1904 मढ़ौरा में की गई थी। इसके अलावे मोर्टन और शराब की मीले भी थी। पर यहाँ तत्काल अब कोई मील नही चल रहीं। फिर भी यहाँ कुछ ऐसे स्थल है जहाँ लोग आते हैं। उदाहरण के तौर गढ़ देवी माता का मंदिर और शिल्हौरी में शंकर भगवान का मंदिर। जहाँ भक्तो की अपार भीड़ होती है।

माँ दुर्गा यहाँ मढ़ौरा में थावे (गोपालगंज) तक की अपनी यात्रा में रुकी थी

गढ़ देवी माता के मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना हैं। मढ़ौरा के एक कोने में स्थित , सारण जिले में इस क्षेत्र में एक मंदिर है जो देवी माँ दुर्गा को अर्पित है।इस मंदिर को गढ़ देवी मंदिर कहते है। मंदिर के इतिहास के अनुसार यह माना जाता है की माँ दुर्गा यहाँ मढ़ौरा में थावे (गोपालगंज) तक की अपनी यात्रा में रुकी थी।सोमवार और शुक्रवार के दिन विशेष पूजाएं होती है और इस मंदिर में इन दिनों भक्तो की भीड़ रहती है।

हिंदी में गढ़ का अर्थ है पर्वत, इसीलिए देवी माँ को पर्वत पुत्री भी कहा जाता है। यह शक्ति पीठों में से एक है। स्थानीय लोगो में प्रचलित कई कहानिया है जो इस मंदिर के बारे में कही जाती है। इनमे से एक है – दक्ष यज्ञ के उपरांत जब शिव जी सती के जलते हुए देह को लेकर तांडव करने लगे ; तब विश्व का विनाश रोकने हेतु श्री विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के देह के टुकड़े कर दिए.जहा भी यह टुकड़े गिरे एक शक्ति पीठ उभरा।

मढ़ौरा के इस स्थान पर सती के पावन रक्त की कुछ बुँदे पड़ी थी।एक और कहानी यह है की चीनी मिल के निर्माण के दौरान माता की अवहेलना करने से एक के बाद एक बाधाये आ रही थी। तब सभी लोगो ने कई दिनों तक माता की पूजा की और पूजा के पश्चात मिल आसानी से बन गया।

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