विश्व मृदा दिवस के अवसर पर मिट्टी और पानी को बचाने का लिया गया संकल्प

मिट्टी जाँच के आधार पर उर्वरकों का करें संतुलित उपयोग

माननीय कृषि मंत्री ने विश्व मृदा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का किया उद्घाटन

माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार  कुमार सर्वजीत द्वारा आज विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विभाग की ओर से बामेती, पटना के सभागार में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।
माननीय मंत्री द्वारा कार्यक्रम में कृषकों को बताया गया कि आज समय की माँग है कि कम-से-कम लागत में अधिक-से-अधिक गुणवत्तायुक्त पैदावार हो, जिससे किसानों को अधिक आय प्राप्त हो सके। साथ ही, पौधों के पोषण हेतु मृदा का स्वास्थ्य तथा पर्यावरण संतुलन बना रहे तथा किसानों एवं आम लोगों को मिट्टी के महत्त्व के बारे में जागरूक किया जाये।

उनके द्वारा यह भी बताया गया कि मिट्टी जाँच कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य कार्ड आधारित संतुलित उर्वरक प्रयोग एवं उर्वरक उपयोग क्षमता को बढावा देना, सभी कृषकांे को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कार्बनिक उर्वरक एवं जैव उर्वरक को शामिल करते हुए समेकित उर्वरता प्रबंधन को बढावा देना तथा डिजिटल स्वॉयल फर्टिलिटी मैप तैयार करना है।

सचिव, कृषि विभाग, बिहार संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 2002 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने प्रत्येक वर्ष 05 दिसम्बर को विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की थी। खाद्य एवं कृषि संगठन ने सर्वसम्मति से जून, 2013 में विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया और 68वें संयुक्त महासभा ने 05 दिसम्बर को विश्व मृदा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस वर्ष विश्व मृदा दिवस का थीम ‘‘मिट्टी और पानी: जीवन का स्रोत’’ को आधार रखते हुए मनाया जा रहा है।

विश्व मृदा दिवस, 2023 और इसके अभियान का मुख्य उद्देश्य टिकाऊ और जलवायु अनुकूल कृषि खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने में मिट्टी और पानी के बीच महत्व और संबंध के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। किसानों के द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे किसानों की संतुलित उर्वरकों के प्रयोग के प्रति रूचि बढ़ी है।

सचिव, कृषि विभाग द्वारा इस अवसर पर बताया गया कि अधिक-से-अधिक उर्वरा-शक्ति वाली मिट्टी का भी लंबे समय तक कृषि के लिए उपयोग करने से उसकी उर्वरा शक्ति में कमी होने लगती है और मिट्टी की पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराने की क्षमता में ह्रास होने लगता है। यही कारण है कि मिट्टी की जाँच की जाती है, ताकि मिट्टी की पोषक तत्त्व उपलब्ध कराने की क्षमता का आकलन किया जा सके एवं मिट्टी में पोषक तत्त्वों की कमी की जानकारी प्राप्त की जा सके। उन्होंने बताया कि प्रदेश मेें अभी जिला स्तर पर 38 जिला मिट्टी जाँच प्रयोगशाला, प्रमंडल स्तर पर 09 चलंत मिट्टी जाँच प्रयोगशाला तथा मिट्टी जाँच की गुणवत्ता के नियंत्रण हेतु 3 रेफरल प्रयोगशाला कार्यरत है।

इसके अतिरिक्त ग्राम स्तर पर 72 ग्रामस्तरीय मिट्टी जाँच प्रयोगशाला स्थापित है। सभी कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि वे मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंसाओं के आलोक में अपने खेतों में लक्षित उपज प्राप्त करने हेतु संतुलित उर्वरक का प्रयोग कर सके। उन्होंने कहा कि राज्य में उनके द्वारा यह भी बताया गया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड आधारित उर्वरकों एवं पोषक तत्वों के उपयोग से कम कृषि लागत में अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही, कृषकों की आय में वृद्धि होगी तथा मिट्टी के सेहत में सुधार होगा।

कृषि निदेशक ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में बिहार राज्य के लिए 2,00,000 मिट्टी नमूनों के संग्रहण/विश्लेषण एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस निर्धारित लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 1,22,927 मिट्टी नमूनों का संग्रहण किया जा चुका है, जिसका प्रयोगशाला में विश्लेषण का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 15,24,096 कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया गया था।
इस मौके पर निदेशक, उद्यान अभिषेक कुमार, अपर निदेशक  धनंजयपति त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक (रसायन), मिट्टी जाँच प्रयोगशाला कृष्ण कांत झा, उप निदेशक (रसायन), मिट्टी जाँच विनय कुमार पाण्डेय तथा दोनों कृषि विश्वविद्यालयों के मृदा वैज्ञानिकगण के अतिरिक्त अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं किसान उपस्थित थे।

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