कमल की कलम से !
आईये आज हम आपको एक अनोखे संग्रहालय की सैर कराते हैं.
छुक छुक संग्रहालय. यानी कि रेल संग्रहालय.
दिल्ली के चाणक्यपुरी में दूतावास क्षेत्र में स्थित यह रेल संग्रहालय एशिया का अद्भुत संग्रहालय है.
भारतीय रेल के उत्तरोत्तर विकास की गाथा पढ़ता इस संग्रहालय का नींव हमारे चौथे राष्ट्रपति वी वी गिरी द्वारा 1971में रखा गया था.
1977 में उद्घाटन रेल मंत्री कमलापति त्रिपाठी द्वारा हुआ जबकि 1995 में यह संग्रहालय पूर्ण विकसित हुआ.
इस संग्रहालय ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम शामिल कराया है.इसे राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.
अंदर में एक अष्टकोणीय भवन भी है जिसमें छः प्रदर्शनी दीर्घा है साथ ही एक बड़ा खुला प्रदर्शनी क्षेत्र है जो रेलवे यार्ड जैसा अनुभव करवाता है.
भारतीय रेल से सम्बंधित लगभग 160 वर्षों के इतिहास को संजोये हुए इस संग्रहालय में विभिन्न प्रकार के रेल इंजनों और डिब्बों के मॉडल संरक्षित हैं.
संग्रहालय का मुख्य आकर्षण पटियाला राज्य मोनोरेल ट्रेन है.
जिसकी एक अनोखी स्टीम मोनोरेल 1907 में बनाई गई थी.
यह एक पटरी पर चलती है. इसका दूसरा बड़ा पहिया सड़क पर रहता है.
दूर से देखने पर यह एक पहिये पर चलती हुई नजर आती है.
सबसे पुराना काम कर रहे भाप से चलने वाले इंजन ‘फेयरी क्वीन’ को गिनीज बुक वल्र्ड रिकाॅर्ड में शामिल किया गया है. यह आपको देखने को मिलेगी.
एक टॉय ट्रेन भी है जो पूरे संग्रहालय का परिक्रमा करवाता है। मस्ती , पूरी मस्ती के साथ.
1853 में मुंबई से ठाणे तक की भारत की पहली रेल यात्रा को गौरवन्वित करने वाला भाप इंजन का एक मॉडल यहाँ मौजूद है.
फायर इंजिन , प्रिंस ऑफ वेल्स के सैलून , इंदौर के महाराजा का सैलून , मैसूर के महाराजा का सैलून , इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव 4502 सर लेस्ली विल्सन , इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव सर रोजर लुमले , इसके मुख्य आकर्षण हैं.
विश्व का सबसे पुराना इंजन फेयरी क्वीन , कालका-शिमला रेल बस , माथेरान हिल रेल कार , नीलगिरि माउंटेन रेलवे भी आपको यहाँ नजर आते हैं.
संग्रहालय में देश भर से एकत्रित लोहे व इस्पात से बनें भाप के इंजन और लकड़ी से बनें रेल डिब्बे भी है.
संग्रहालय में इन प्रदर्शित इंजन और डिब्बों का मरम्मत भी होते रहता है.
इस संग्रहालय में रेल सिम्यूलेटर की संख्या शायद दुनिया में सबसे अधिक है. अत्याधुनिक 3डी आभासी वास्तविकता हमें वापस पुराने समय में ले जाती है.
इन डोर में डिजिटल और मोबाइल तकनीकों का उपयोग यहाँ की यात्रा को इंट्रेक्टिव , शैक्षिक और आकर्षक बनाती है.
संग्रहालय में मोबाइल ऐप और वेब साइट की एक टेबल है जो एक हमें प्रदर्शित वस्तुओं से जुड़ने का मौका देती है.
3डी आभासी पर्यटन और इंडोर पोजिशनिंग सिस्टम हमें अपने पसंद से सब कुछ दिखाती है.
संग्रहालय का एक भाग गाँधीजी को समर्पित है.
इंडोर में कुछ कंप्यूटर स्क्रीन भी है जिसके सामने बैठ कर कौन बनेगा करोड़पति टाइप से आप रेलवे से सम्बंधित प्रश्नों के जवाब देकर अंक अर्जित कर सकते हैं.
इन डोर संग्रहालय में भारतीय रेल के इतिहास , क्रमिक विकास और गौरव को दर्शाने वाली अनेक फोटोग्राफ प्रदर्शित हैं। अनेक प्रकार के रेल इंजन , रेल कोच , मालवाहक रेल बोगी के आकर्षक मॉडल को प्रदर्शित किया गया है.
दिखाए गए इंजिन और डब्बे पर चढ़ना सख्त मना है. इस नियम को तोड़ने वालों पर हर बार और हर आईटम पर 500 रुपये का दंड है. मतलब यदि आप किसी इंजन पर दो बार चढ़ गए तो ₹1000 दण्ड देने पड़ेंगे. तो जरा संभल कर.
यदि आपको एक अद्भुत संग्रहालय का रोमांचकारी अनुभव लेना हो तो यहाँ अवश्य जाएँ.
राष्ट्रीय और विशिष्ट अवकाश एवम सोमवार को यह बन्द रहता है. खुलने का समय सुवह 10 बजे से शाम 5 बजे तक है.
अब इस संग्रहालय में आप शाम 6 से 8 भी 250 रुपये की शुल्क के साथ रात्रि भ्रमण कर सकते हैं.
प्रवेश शुल्क बड़ों के लिए ₹50 और बच्चों के लिए 20 रुपये है. टॉय ट्रेन के लिए भी ₹ ₹20 और ₹10 शुल्क निर्धारित है.
यहाँ तक पहुँचने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 781 नम्बर की सीधी बस सेवा है जो बस स्टैंड रेल संग्रहालय होकर जाती है. एयरपोर्ट से भी 780 नम्बर की बस यहां होकर गुजरती है.
- निकटवर्ती मेट्रो स्टेशन उद्योग भवन है।
अपनी सवारी से जाने पर संग्रहालय के बाहर पार्किंग स्पेस है.