बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर बयान जारी कर कहा है कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट एवं ध्वस्त हो चुका है।
श्री सिन्हा ने कहा है कि राज्य में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों की दुर्दशा से सभी लोग अवगत हैं। इन विद्यालयों में अधिकांश जगह भवन नहीं है और प्राथमिक विद्यालय के छात्र खुले आकाश के नीचे पढ़ाई करते हैं। जहां विद्यालयों में भवन बना है वहां बरसात में कमरों में पानी चूता है। निर्माण कार्य में लूट के कारण बने हुए भवन भी निम्न गुणवत्ता के हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि प्राथमिक माध्यमिक और उच्च विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। जहां शिक्षक हैं उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है। बहुसंख्यक विद्यालय में कामचलाऊ व्यवस्था के तहत अनुबंध पर शिक्षक रखे गए हैं लेकिन उन्हें स्थाई नहीं किया जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि लगता है कि बिहार सरकार सुनियोजित ढंग से शिक्षा व्यवस्था का अंत करने में लगी है। यह सोची समझी साजिश है कि 13 दिसंबर से 19 दिसंबर तक घोषित बिहार विधानसभा के आगामी सत्र में इस बार शिक्षा विभाग से संबंधित प्रश्न नहीं पूछे जा सकेंगे।
श्री सिन्हा ने कहा कि बड़े भाई ने चरवाहा विद्यालय खोलकर शिक्षा व्यवस्था को चौपट करवाया और छोटे भाई शिक्षा के आधारभूत संरचना एवं विद्यालयों की उन्नति पर ग्रहण लगा कर बैठे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने चुनौती दी कि मुख्यमंत्री को अगर विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था विकसित लग रहा है तो वह सर्वे करा कर देख ले कि राज्य में पदस्थापित पदाधिकारियों एवं सरकारी कर्मियों के कितने बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ रहे हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि नए शिक्षा मंत्री ने शपथ लेने के कुछ दिन बाद ही मान लिया था कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है। इसे दिल्ली के मॉडल पर विकसित करना है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य में शिक्षा विभाग हमेशा जनता दल यू अथवा राष्ट्रीय जनता दल के पास रहा है। भाजपा के पास कभी भी शिक्षा विभाग नहीं रहा है। अब महागठबंधन सरकार में दोनो दल शामिल है लेकिन फिर भी चुनाव में संविदा पर बहाल शिक्षकों स्थाई करने का उपमुख्यमंत्री द्वारा वादा को पूरा नहीं किया जा रहा हैं। माननीय मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए की शिक्षा विभाग में सुशासन की हवा क्यों निकल गई हैं।