कमल की कलम से !
पूरे देश के साथ साथ राजधानी दिल्ली में जगह जगह पूरे जोश और उत्साह के साथ हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा और झाँकियाँ निकाली जा रही है.
कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में तो भक्तों की उमड़ती भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा तो चाँदनी चौक में स्थित प्राचीन श्री नरसिंह हनुमान मंदिर से निकली अद्भुत और भव्य ऐतिहासिक शोभायात्रा तो अद्भुत छटा विखेरती रही.करोलबाग और झंडेवालान स्थित 108 फीट की प्राचीन हनुमान जी के दर्शन को उनके पूछ की भाँति लंबी लाइन ने तो सारे ट्राफिक को ही बन्द कर दिया गया.
क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी का जन्मदिवस दो बार होता है ? हम बताते हैं क्यों ??
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हनुमान जन्मोत्सव और हनुमान कथा :
महावीर हनुमानजी के बारे में कई ऐसी बाते हैं जो उन्हें सभी देवताओं से खास बनाते हैं.पौराणिक मत के अनुसार हनुमानजी महज एक ऐसे देवता हैं जो त्रेतायुग से लेकर आज तक और सृष्टि के अंत तक अपने शरीर के साथ इस धरती पर मौजूद हैं.तुलसीदासजी को इस बात का प्रमाण स्वंय हनुमानजी ने दिया है.धार्मिक मान्यता तो यह भी है कि जहाँ भी राम कथा होती है वहाँ हनुमानजी किसी ना किसी रूप में मौजूद रहते हैं.
चिरंजीवी हनुमानजी के जन्म स्थान और जन्मतिथि को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं.एक मान्यता जो उत्तर भारत में अधिक प्रचलित है उसके अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानी दीपावली से एक दिन पहले हुआ था.बाल्मिकी रामायण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि मंगलवार के दिन स्वाती नक्षत्र में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन हनुमानजी का प्राकट्य हुआ था.जबकि एक अन्य मान्यता के अनुसार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि को बजरंगबली का जन्म हुआ था.इस वर्ष यह तिथि 6 अप्रैल को यानी कि आज ही है.इस तरह हनुमानजी का जन्मदिन पूरा देश 2 दिन मनाता है.
हनुमानजी की जन्मतिथि को लेकर जैसे एक मत नहीं है उसी प्रकार उनके जन्मस्थान को लेकर भी एक मत नहीं है.एक मत के अनुसार झारखंड के गुमला जिले में एक गांव है जिसका नाम आंजन है.यहीं एक गुफा में हनुमानजी का जन्म हुआ था.यहां हनुमानजी की एक प्राचीन प्रतिमा है जिसे इस बात का प्रमाण बताया जाता है कि यहीं शिव भक्तिनी अंजनी ने हनुमानजी को जन्म दिया था.
हनुमानजी के जन्म स्थान को लेकर चर्चित स्थानों में कर्नाटक का हंपी भी प्रसिद्ध है.ऐसी मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां रामायण काल में किष्किंधा नगरी हुआ करती थी, जहां के राजा सुग्रीव थे.यहीं हनुमानजी के पिता केसरी जी रहा करते थे.इसके अलावा गुजरात के डांग जिले के लोग भी यह दावा करते हैं कि यहां अंजनी गुफा में हनुमानजी का जन्म हुआ था.हनुमानजी के जन्मस्थान और जन्मतिथि को लेकर जो भी मत हो लेकिन इनके दोनों ही जन्मतिथि पर इनकी पूजा विशेष फलदायी मानी गई है.
हनुमान जन्मोत्सव के दिन पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान करके हनुमानजी को चोला, सिंदूर और लड्डू अर्पित करने की परंपरा है.इस दिन हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए हनुमान भक्तों को हनुमान चालीसा, सुंदर कांड, बजरंग बाण और रामायण का पाठ करना चाहिए.हनुमानजी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर लेपन करना चाहिए.चमेली या सरसों के तेल से दीप जलाएं और लाल रंग की बाती का प्रयोग करना चाहिए.