भारत में भूजल दोहन के लिए आवश्यक है अविलंब शासन प्रणाली : वॉटरऐड इंडिया

गया : विश्व जल दिवस 2022 के अवसर पर वॉटरऐड द्वारा “भूजल: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ बचाव का विश्व का उपेक्षित तरीका” नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की जा रही है जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूजल संसाधनों की स्थिति पर एक लक्षित रुप से ध्यान केंद्रित करती है। ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे (बीजीएस) एवं वॉटरऐड द्वारा किए गए नए विश्लेषण में खुलासा हुआ है कि अफ्रिका के कई देशों और एशिया के कुछ हिस्सों में पर्याप्त मात्रा में भूजल मौजूद है जिससे प्रत्येक व्यक्ति की रोजमर्रा की ज़रुरतें पूरी की जा सकती है और इसे लंबे समय के लिए संवहनीय बनाया जा सकता है। लेकिन, विशेष रूप से एशिया के कुछ भागों में खराब भूजल प्रबंधन और संदूषण के कारण एक कमी का निर्माण हो रहा है जिससे आने वाले कुछ वर्षों में लाखों लोग प्रभावित होंगे।

उदाहरण के लिए उप-सहाराई अफ्रिका के कुछ हिस्सों में भूजल बड़े पैमाने पर अप्रयुक्त है जबकि दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में इसका अत्यधिक उपयोग होता है। यह, और इसके साथ अपर्याप्त विशेषज्ञता और निवेश के कारण खराब विनियम, कुप्रबंधन, संदूषण और प्रदूषण देखने मिलता है और आगे इसके संभाव्य रूप से विनाशकारी परिणाम सामने आते हैं।

वॉटरऐड रिसर्च टीम के निष्कर्ष यह बताते हैं कि ज़्यादातर उत्तरी भारतए, पाकिस्तान और बांग्लादेश में भूजल का दोहन बारिश से होने वाले सालाना पुनर्भरण यानी रिचार्ज की तुलना में सामान्य तौर पर अधिक है। इसलिए सूखे के समय के दौरान, पानी की आपूर्ति करना असंवहनीय हो जाता है और ऐसे समय में यह खत्म हो जाता है जब लोगों को इसकी सबसे अधिक ज़रुरत होती है।

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