श्राद्ध करने हेतु वार, तिथि एवं नक्षत्र एवं उसके लाभ
१. वार (दिन) एवं श्राद्धफल
वार | श्राद्धफल | वार | श्राद्धफल |
सोमवार | सौभाग्य | शुक्रवार | धनप्राप्ति |
मंगलवार | विजयप्राप्ति | शनिवार | आयुष्यवृद्धि |
बुधवार | कामनासिद्धि | रविवार | आरोग्य |
गुरुवार | विद्याप्राप्ति |
२. तिथि एवं श्राद्धफल
श्राद्ध की तिथि | श्राद्धफल |
प्रतिपदा | उत्तम पुत्र एवं पशु की प्राप्ति होना |
द्वितीया | कन्याप्राप्ति होना |
तृतीया | अश्वप्राप्ति, मानसन्मान मिलना |
चतुर्थी | अनेक क्षुद्र पशुओं की प्राप्ति होना |
पंचमी | अनेक और सुंदर पुत्र प्राप्त होना |
षष्ठी | तेजस्वी पुत्र प्राप्ति, द्युत में विजय मिलना |
सप्तमी | खेती के लिए भूमि मिलना |
अष्टमी | व्यापार में लाभ होना |
नवमी | घोडे जैसे पशुओं की प्राप्ति होना |
दशमी | गोधन बढना, दो खुरवाले पशुओं की प्राप्ति होना |
एकादशी | बर्तन, वस्त्र एवं ब्रम्हवर्चस्वी पुत्र से लाभान्वित होना |
द्वादशी | सोने-चांदी आदि की प्राप्ति |
त्रयोदशी | जातिबंधुओं से सम्मान प्राप्त होना |
चतुर्दशी | शस्त्र के आघात से अथवा युद्ध में मारे गए लोगों को आगे की गति मिलना, सुप्रजा की प्राप्ति होना |
अमावस्या / पूर्णिमा | सभी इच्छाओं की पूर्ति होना |
टिप्पणी १ – पूर्णिमा के अतिरिक्त, सब तिथियां कृष्ण पक्ष की हैं । आश्विन मास के कृष्णपक्ष में (महालय में) ये विशेष फल देते हैं ।
३. नक्षत्र एवं श्राद्धफल
नक्षत्र | श्राद्धफल |
१. अश्विनी | अश्वप्राप्ति |
२. भरणी | दीर्घायुष्य |
३. कृत्तिका | पुत्र के साथ स्वयं को स्वर्गप्राप्ति |
४. रोहिणी | पुत्रप्राप्ति |
५. मृग | ब्रह्मतेज की प्राप्ति |
६. आर्द्रा | क्रूरकर्मियों को गति मिलना, कर्म सफल होना |
७. पुनर्वसु | द्रव्यप्राप्ति, भूमिप्राप्ति |
८. पुष्य | बलवृद्धी |
९. आश्लेषा | धैर्यवान पुत्र की प्राप्ति, कामनापूर्ति |
१०. मघा | जातिबंधुओं में सम्मान मिलना, सौभाग्यप्राप्ति |
११. पूर्वा | भाग्य, पुत्रप्राप्ति एवं पापनाश |
१२. उत्तरा | भाग्य, पुत्रप्राप्ति एवं पापनाश |
१३. हस्त | इच्छापूर्ति, जातिबंधुओं में श्रेष्ठता प्राप्त होना |
१४. चित्रा | रूपवान पुत्रप्राप्ति, अनेक पुत्रप्राप्ति |
१५. स्वाती | व्यापारमें लाभ, यशप्राप्ति |
१६. विशाखा | अनेक पुत्रप्राप्ति, स्वर्णप्राप्ति |
१७. अनुराधा | राज्यप्राप्ति (मंत्रीपद इत्यादि की प्राप्ति), मित्रलाभ |
१८. ज्येष्ठा | श्रेष्ठत्व, अधिकार, वैभव एवं आत्मनिग्रह की प्राप्ति, राज्यप्राप्ति |
१९. मूळ | आरोग्यप्राप्ति, खेत-भूमि प्राप्त होना |
२०. पूर्वाषाढा | उत्तम कीर्ति, समुद्रतक यशस्वी यात्रा |
२१. उत्तराषाढ | शोकमुक्ति, सर्वकामनासिद्धि, श्रवणश्रेष्ठत्व |
२२. श्रवण | परलोक में उत्तम गति, श्रेष्ठत्व |
२३. धनिष्ठा | राज्य (मंत्रीपद इत्यादि की) प्राप्ति, सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति |
२४. शतभिषा | चिकित्सकीय व्यवसाय में सिद्धि प्राप्त होना, बलप्राप्ति |
२५. पूर्वाभाद्रपद | भेड, बकरी आदि की प्राप्ति, स्वर्ण व चांदी से भिन्न धातुओं की प्राप्ति |
२६. उत्तराभाद्रपद | गौ-प्राप्ति, शुभ एवं उत्तम वास्तु प्राप्त होना |
२७. रेवती | बरतन, वस्त्र इत्यादि की प्राप्ति, गोधनप्राप्ति |
अधिक जानकारी हेतु पढें : सनातन का ग्रंथ ‘श्राद्ध (भाग १) महत्त्व एवं अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन
विनीत,
श्री. गुरुराज प्रभु