इथोपिया से इसी साल करवाई है उत्तर प्रदेश, बिहार और हिमाचल प्रदेश के 21 लोगों की वतनवापसी
किसी भी जरूरतमंद की एक गुहार पर दुनिया के किसी भी कोने में त्वरित, सफल और सार्थक पहल करते हैं मशहूर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर। वे वैश्विक स्तर की संस्था ह्युमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन- एचआरयूएफ के फाउंडर चेयरमैन भी हैं जिसकी स्थापना तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की प्रेरणा से की गई थी। यह दुनिया के पावरफुल ह्युमन राइट्स औरगेनाईजेशन में से एक है। गुगल पर हिन्दी और अंग्रेजी में एचआरयूएफ चेयरमैन सर्च करके विशाल दफ्तुआर के विराट व्यक्तित्व से रूबरू हुआ जा सकता है।
इसी वर्ष जुलाई माह में इथोपिया में फंसे 21 भारतीयों की एचआरयूएफ चेयरमैन विशाल दफ्तुआर के पहल करते ही त्वरित वतन वापसी हुई। इसमें उत्तर प्रदेश के 10, बिहार के 9 और हिमाचल प्रदेश के 2 लोग हैं शामिल थें।
जनहित और मानवाधिकार संरक्षण में इनकी पहल को भारत के राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस आफ इंडिया, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,कई केन्द्रीय मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री का भी सहयोग मिला है।
इतना ही नहीं भारत के बाहर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री का भी विशेष सहयोग मिला है।राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सेक्रेटरी जनरल तक ने इनके कार्यों की विशेष तारीफ की है।
अपनी जनसेवा के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिये जून 2019 में मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की प्रेरणा से इन्होंने वैश्विक स्तर की नाट फार प्राफिट औरगेनाईजेशन ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन-एचआरयूएफ की स्थापना की।वे इसके फाउंडर चेयरमैन हैं।
दरअसल मानवाधिकार के क्षेत्र में भारत का कोई औरगेनाईजेशन विश्व विख्यात नहीं है।इस क्षेत्र में इंग्लैंड का एमनेस्टी इंटरनेशनल और अमरीका के ह्यूमन राइट्स वाच जैसी संस्थाओं का बोलवाला है।विशाल दफ्तुआर ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला को एक भारतीय संस्था के तौर पर विश्व विख्यात बनाना चाहते हैं।
इसकी स्थापना के महज चंद सालों के अंदर इनके नेतृत्व में ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन-एचआरयूएफ ने लगातार सात ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करके एक शानदार शुरुआत की है।
दरअसल विशाल दफ्तुआर के पहल करते ही उनके शानदार कार्डिनेशन से सरकारी सिस्टम के अवरोध स्वमेव ही सुचारू होने लगते हैं।
विशाल दफ्तुआर की प्रमुख उपलब्धियाँ:-
वर्ष 2019 के सितंबर माह में बांग्लादेश की जेल में 11 साल से कैद दरभंगा के सतीश चौधरी की 1 महीने में वतन वापसी
वर्ष 2019 के दिसंबर माह में बांग्लादेश की जेल से उत्तर प्रदेश के बलिया के अनिल कुमार सिंह की रिहाई।
वर्ष 2020 में कोरोना के वक्त बांग्लादेश महिला की वतन वापसी
वर्ष 2021 में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के वक्त भागलपुर के उस्तु गांव के अनुसूचित जाति के भूमिहीन राजेन्द्र रविदास की बांग्लादेश की जेल से त्वरित रिहाई।
वर्ष 2023 म्यांमार और बांग्लादेश के तीन नागरिकों की वतनवापसी ।
वर्ष 2024 में इथोपिया से उत्तर प्रदेश, बिहार और हिमाचल प्रदेश के 21 लोगों की वतनवापसी।
इसके पूर्व वर्ष 2016 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा बिहार में बालू खनन पर रोक के खिलाफ उन्होंने जनहित में तत्कालीन चीफ जस्टिस आफ इंडिया जस्टिस टी.एस. ठाकुर को पत्र लिखा था जिसे माननीय चीफ जस्टिस ने जनहित याचिका में बदल दिया था।
बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के खिलाफ भी इन्होंने पहल की है।
अब तक मिले प्रमुख अवार्ड-
1999-गोल्ड मेडल
2000- ह्यूमन राइट्स मिलेनियम अवार्ड
2001-वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स प्रमोशन अवार्ड
2021- ग्लोरी आफ इंडिया अवार्ड ( लाइफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड)
2022- देश 22 चेंज मेकर्स में शामिल ( अन्य चेंज मेकर्स में भारत के विदेश मंत्री, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और उत्तराखंड के सीएम शामिल।)