छपरा की बौद्धिक परंपरा की महत्ता को स्थापित करने के लिए जेपी जैसी विभूतियों को याद करना जरुरी: प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव

छपरा की बौद्धिक परंपरा की महत्ता को स्थापित करने के लिए जेपी जैसी विभूतियों को याद करना जरुरी: प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव

छपरा। संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जय प्रकाश नारायण की 117 वीं जयंती पर विधान पार्षद् प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव के आवास पर एक संगोष्ठी का आयोजन कर जेपी को नमन् किया गया। इस मौके पर प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव ने कहा कि जेपी ने अमेरिका प्रवास के दौरान होटल में बेयरे से ले कर हर तरह का श्रम किया और श्रम की महत्ता को समझा यही कारण था कि वो अपने आस पास श्रम करने वाले को सेवक नहीं सहायक कहा करते थे। उन्होंने कहा कि जेपी का सपना सबके लिए एक सुन्दर दुनिया बनाने की थी। वो समाजवादी थे, हर तरह के भेदभाव के खिलाफ थे और असमानता के खिलाफ थे।

पूर्व मंत्री और सिताब दियारा से जन्मना जुड़े उदित राय ने कहा कि जेपी के दो चेलों ने छपरा में उनकी स्मृति को संरक्षित करने का काम किया। लालू यादव ने जहाँ जय प्रकाश विश्वविद्यालय दिया तो वहीं नीतीश कुमार ने सिताब दियारा में सुंदर आश्रम का निर्माण कराया। उन्होंने जेपी टावर में जेपी की विशाल प्रतिमा लगवाने की माँग विधान पार्षद से की।
डॉ. लाल बाबू यादव ने जेपी के विचारों और उनकी दशा दिशा की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि शायद ही ऐसे राजनेता होते है जो राजनीती की परिभाषा ही बदल देते है।
इप्टा अध्यक्ष अमित रंजन ने जेपी की जाति छोड़ो जनेऊ तोड़ो और संपूर्ण क्रांति पर विस्तृत चर्चा की ।

सूर्यदेव बाबू ने जेपी के अनछुए पहलूओं को रखा। प्रो. जयराम सिंह ने संघर्ष के बावजूद इंदिरा और जेपी के पिता पुत्रीवत् अंतरंग संबंधों की चर्चा की।
संगोष्ठी को नागेन्द्र राय, अनिल कुमार, विजय कुमार सिंह, प्रभात कुमार सिंह, सुरेन्द्र प्रसाद यादव, सुरेश कुशवाहा, दिनेश प्रसाद आदि ने संबोधित किया। अध्यक्षता तपसी सिंह उच्च विद्यालय के प्राचार्य डॉ. कपिल देव सिंह और संचालन शिक्षक नेता विद्या सागर विद्यार्थी ने की।

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