पटना, 17 अक्तूबर । बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय कुमार सिन्हा ने सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री स्वार्थ, अहंकार और महत्वकांक्षा की पूर्ति के लिए बिहार को जिस जगह पर ले जाकर खड़ा कर दिए उसके परिणाम अब दिखने लगे हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की संगति बदलने से नियत तो बदल ही गए अब सरकार के नीतिगत फैसले भी बदलने लगे।
उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनाव में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को नहीं मानना उनके अहंकार को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि उनके बड़े भाई भी जब सत्ता में थे तब वे भी कहते थे कि वे जो बोलते हैं, वही कानून है।
उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनाव में सभी लोग चाहते थे कि आयोग बने और अन्य राज्यों की तरह यहां भी चुनाव हो जाए, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसके लिए पहले ही तय कर रखा था। उनकी नियत साफ नहीं थी। उन्होंने मन मिजाज को पहले ही बना लिया था।
उनकी इच्छा थी कि अति पिछड़ों का आरक्षण समाप्त करवा कर फिर से अपने पक्ष में माहौल खड़ा करें, लेकिन दाव ही उल्टा पड़ गया।
विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता श्री सिन्हा ने कहा संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के संवैधानिक संस्थाओं का निर्देश, आदेश नहीं मानना और उसको भाजपा से जोड़कर पेश करना उनकी मानसिकता और घटिया राजनीति को दर्शाता है।
श्री सिन्हा ने कहा कि बिहार की जनता अब समझ गई , जिस कारण अहंकार में अति पिछड़ों के आरक्षण के नाम पर उन्माद पैदा करने की उनकी योजना धरी रह गई।
राजद के शासनकाल में वर्षों तक चुनाव नहीं हुए थे, आज फिर से मानसिकता यही है कि जनप्रतिनिधि नहीं हो और प्रशासनिक अराजकता के बीच मंत्री का अधिकार बना रहे और वित्तीय अनियमितता का खेल शुरू हो।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि आज अगर क्षेत्र में जनप्रतिनिधि होते तो डेंगू भयावह रूप नहीं लेता। जनप्रतिनिधि क्षेत्रों की सफाई में लगे रहते।
भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रशासनिक अराजकता और वित्तीय अनियमितता के बढ़ावे के बीच आपको सत्ता प्यारी हो सकती है लेकिन आपके इस कार्य का सदन से सड़क तक विरोध होगा।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आरक्षण के साथ एक महीने के अंदर नगर निकाय के चुनाव कराए जाएं नहीं तो भाजपा सड़क से सदन तक जनांदोलन करेगी।