50 लाख से अधिक फर्जी जमाबंदी में जमीन माफियाओं का भी हाथ,
दारू औऱ बालू माफिया के तरह जमीन माफियाओं का भी प्रशासन पर दबदबा,
सचिवालय मुख्यालय में प्रतिनियुक्त डाटा इन्ट्री आपरेटरों की हो जाँच,
विभागीय ट्रांसफर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार में मंत्री भी हो चुके हैं आरोपित,
फर्जी म्युटेशन की हो सी.बी.आई अथवा हाइकोर्ट के सिटिंग जज से जाँच,
पटना, 12 सितम्बर 2023
बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की समीक्षात्मक बैठक में 10 लाख संदिग्ध जमाबंदी का पता लगने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा है कि फर्जी जमाबंदी का मामला 50 लाख से अधिक है।
श्री सिन्हा ने कहा कि जब से आन लाईन म्युटेशन की शुरुआत हुई है भूमाफिया एवं अन्य अवांछित तत्वों द्वारा सरकारी कर्मियों की सांठगांठ से फर्जी जमाबंदी का खेल खेला जा रहा है। असली भूस्वामी इसे ठीक करवाने हेतु पंचायत से अनुमंडल तक दौड़ लगाते है। फिर भी समाधान नहीं होता है। अधिकांश डी0सी0एल0आर0 इसमें मिले हुये है।फलस्वरूप गलत जमाबंदी के मामलों में सुनवाई टालते हैं।जानबूझकर औऱ सोच समझकर भ्रष्टाचार के तहत की गई गड़बड़ी का सुधार करने में ये आनाकानी करते हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि दारू औऱ बालू माफिया के तरह जमीन माफियाओं का भी पुलिस औऱ प्रशासन पर दबदबा कायम है।थानेदारों औऱ डी सी एल आर की मदद से ये सरकारी जमीन को भी अपने नाम से करा लेते हैं।निजी जमीनों की जमाबंदी अपने नाम से कराकर ये खुलेआम बेच देते हैं।इनके इन कारनामों से हजारों लोग वर्वाद हो चुके हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि फर्जी जमाबंदी का पूरा गिरोह काम कर रहा है। राजस्व भूमि सुधार विभाग के सचिवालय मुख्यालय में प्रतिनियुक्त डाटा इन्ट्री आपरेटर की भूमिका की जाँच होनी चाहिए।अपर मुख्य सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कार्यालय में प्रतिनियुक्त डाटा इन्ट्री आपरेटर वर्षो से वहाँ जमें है।
श्री सिन्हा ने कहा कि विभागीय ट्रांसफर पोस्टिग में मंत्री पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लग चुका है। मुख्यमंत्री ने स्वयं इसकी समीक्षा की और ट्रांसफर पोस्टिग में लेन देन और नियमों की अवहेलना पर उसे रद्द किया।
श्री सिन्हा ने इन फर्जी म्युटेशन की उच्चस्तरीय जाँच सी.बी.आई अथवा हाइकोर्ट के सिटिंग जज से कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पंचायत से अनुमंडल तक गलत जमाबंदी के विरुद्ध लाखों लोगों द्वारा दिये गये आवेदन की समीक्षा स्वयं करनी चाहिये।साथ ही डी सी एल आर और थानेदारों की संपत्ति की भी जांच सरकार कराये।