पटना। राजधानी के प्रेमचंद्र रंगशाला में दिखाया गया नाटक कुंवर सिंह की प्रेम कथा प्रस्तुति किया गया।

वीर कुंवर सिंह वीरता और शौर्य जग-जाहिर है। लेकिन उनके प्रेम कथा से लोग अनभिज्ञ हैं। लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव, परिकल्पना एवं निर्देशन में रामकुमार मोनाक के नाटक में दिखाया गया कि एक मुस्लिम परिवार की नर्तकी वीर कुंवर सिंह के जीवन में आती है। कुंवर सिंह और धरमन की सच्चा प्यार कभी अपेक्षा नहीं करता, बल्कि त्याग और समरपन का नया इतिहास रचता है।

धरमन और करमन रणछेञ में भी अपनी हुनर की लोहा मनवायी और भारत माता की गुलामी की जंजीरों को काटती हुई वीरगति को प्राप्त हुई। नाटक में दिखाया गया कि कुवंर सिंह 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बिहार और उत्तर प्रदेश के छेञ में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध का नेतृत्व करते हैं। साथ ही अंग्रेज़ो को हर मोर्चा पर विफल करते है। नाटक में दिखाया गया कि सभी धर्मो के लोगों को साथ लेकर चलते थे। वहीं, बंगाल में अंग्रेजों के फ़ौज में शामिल मंगल पाण्डे ने बगावत कर दी।

अंग्रेजों ने उसे मौत की सज़ा दी, इस धटना से भी पूरे देश में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध छिड़ गई । इधर लेखक व पञकार मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने कहा कि कुंवर सिंह की वीर गाथा से तो पूरी दुनिया परिचित है। लेकिन, इनकी प्रेमकथा जो एक देश भक्ति की मिसाल भी थी, जो बहुत कम लोग जानते है। कई अड़चन आई और आखिरकार लगभग 200 पेज की पुस्तक तैयार हो गयी।

वहीं पञकार बसंत कुमार सिन्हा और पारस नाथ  ने कहा कि इस तरह के ऐतिहासिक कहानी नाटक लिखना कोई हाथ नहीं लगाता।

कुंवर सिंह की प्रेमकथा लिखना महत्वपूर्ण कदम हैं। साथ ही कलाकारों को सरकारी स्तर पर मदद मिलनी चाहिए।चूंकि एक नाटक के आयोजन करने में तीन लाख रुपये से अधिक खर्च होता है।

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