कमल की कलम से !
अपनी दिल्ली !
आज हम आपकी सैर पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार में स्थित उस भव्य मन्दिर की करा रहे हैं जिसकी प्रसिद्धि अक्षरधाम के बाद दूसरे नंबर पर है.
हम बात कर रहे हैं ” गुफा वाला शिव मंदिर ” की. दिल्ली ही नहीं बल्कि यह भारत के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के परिसर मे पूजा-अर्चना एवं दर्शन के लिए लगभग सभी प्रमुख देवी-देवता अपने-अपने धाम मे विराजमान हैं. इसकी भव्यता देखते ही बनती है.
मंदिर का एक प्रमुख आकर्षण माँ वैष्णो गुफा है. गुफा के अद्भुत दृश्य देखने के लिए संध्या वेला सबसे उपयुक्त है. रंगीन रोशनी की झिलमिलाहट में यहाँ अद्भुत और अलौकिक समां बन्ध जाता है. यह मंदिर हम सभी उम्र के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. चाहे वह बच्चा हो या युवा अथवा बुजुर्ग. सभी उम्र के लोगों के लिए यहाँ कुछ ना कुछ विशेष है. यहाँ माँ वैष्णो गुफा, श्री हनुमान एवं श्री गणेश की विशाल मूर्तियाँ, एक मूर्ति से दूसरी मूर्ति तक पहुँचने के लिए टेढ़े-मेढ़े तथा रोमांचित करने वाले रास्ते आपको खुशियों से भर देंगे. यह बड़ी गुफा वैष्णो देवी मंदिर का अनुभव कराती है और गुफा के अंदर माता वैष्णो देवी और भगवान हनुमान की प्रतिमा है. गुफा से बाहर निकलने पर भगवान भोलेनाथ की एक मूर्ति है. गुफा को भव्य पैमाने पर सजाया जाता है और भगवान शिव की मूर्ति गुफा के शीर्ष पर बनाई गई है. गुफा का छोटी गुफा (गुफा) और है जो मुख्य आकर्षण है, मां कात्यायनी देवी, माँ ज्वाला देवी और माँ चिंतापुरी जैसे देवियों की मूर्तियाँ हैं.
मंदिर के गर्भगृह में मुख्य देवता भगवान शिव और भगवान गणेश के हैं. मंदिर परिसर में स्थित गुफा में माँ वैष्णो देवी और भगवान हनुमान की मूर्तियाँ हैं. भगवान भरतनाथ की मूर्ति गुफा के बाहर स्थित है.
जब हमने इस मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में जानना चाहा तो वहाँ के मुख्य पुजारी ने बताया कि प्रीत विहार के जी-ब्लॉक में जहाँ पर अब यह मंदिर मौजूद है वहां 1987 के समय में बहुत छोटा सा शिव मंदिर हुआ करता था. इसके बाद धीरे-धीरे मंदिर का विकास होता गया और सभी देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई. यहां सबसे प्रसिद्ध गुफा का निर्माण कार्य1994 में कराया गया, जो 120 फुट लंबी है. इसके बाद मंदिर में 56 हजार किलोग्राम का एक शिव लिंग स्थापित किया गया, जिसमें 12 स्वरूप मौजूद हैं. ये सभी आप तस्वीरों में देख सकते हैं. इस मंदिर को पूरा भव्य स्वरूप देने का काम 2000 में पूरा कराया गया.
मंदिर में पूरे साल महाशिवरात्रि और सावन के महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. इसके अलावे कुछ और त्योहार यहाँ मनाए जाते हैं. और भक्तों के लिए प्रमुख आकर्षण नवरात्र उत्सव है. दुर्गा पूजा और नवरात्र के अवसर पर, यहाँ एक विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. यह उल्लेखनीय तीर्थस्थल फूलों और रोशनी से सजाया जाता है.
खुलने और बंद होने का समय: सुबह 5.00 बजे से 12.00 बजे और शाम 5.00 बजे से रात्रि 9.00 बजे तक है.
गुफा का समय: सुबह 7.00 बजे से 12.00 बजे, और शाम 5.00 से 9.00 बजे तक है.
कैसे पहुँचें
गुफा वाले मंदिर की प्रसिद्धि तो इतनी है कि कड़कड़ी मोड़ पर पहुंचकर कोई भी व्यक्ति किसी भी छोटे सा
र्चालक से पूछे तो वह उसे वहां तक छोड़कर आ जाएगा. हालांकि मंदिर की बड़ी प्रतिमाएं यहां के फ्लाईओवर से ही नजर आती हैं.
1.1 किलोमीटर की दूरी पर प्रीत विहार मेट्रो स्टेशन है.
निकटतम रेलवे स्टेशन: यहाँ से लगभग 9.3 किलोमीटर की दूरी पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और 9.4 की दूरी पर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन है.
नजदीकी मेट्रो स्टेशन की बात करें तो प्रीत विहार और निर्माण विहार है.
वहीं कड़कड़डूमा मेट्रो स्टेशन भी अधिक दूर नहीं है. दिल्ली परिवहन निगम की बस सेवा भी कड़कड़ी मोड़ से लेकर प्रीत विहार कॉलोनी के मोड़ पर तक पहुंचाती है.
बस स्टैंड है कड़कड़डूमा क्रासिंग जहाँ से कई बसें गुजरती है.