संसद के बजट सत्र की शुरुआत सोमवार 31 जनवरी यानि आज संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में संबोधन के साथ हुई। गौरतलब हो बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण के पश्चात दोनों सदनों में मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 का आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा। देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) डा. वी. अनंत नागेश्वरन संसद में आर्थिक सर्वे के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं आर्थिक सर्वेक्षण का क्या महत्व होता है…
क्या होता है आर्थिक सर्वे ?
आर्थिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष का लेखा-जोखा होता है, जो आने वाले बजट की तस्वीर को बयां करता है। आमतौर पर यह बजट से एक दिन पहले आता है। हालांकि पिछले साल इसे 29 जनवरी को पेश किया गया था। आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्य आधार होता है। इसमें अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर और लेखा-जोखा रहता है।
देश की आर्थिक सेहत को करता है बयां
आर्थिक सर्वे देश की आर्थिक सेहत को भी बयां करता है। इसके जरिए सरकार देश को अर्थव्यवस्था की हालत के बारे में बताती है। इसमें साल भर में विकास का क्या ट्रेंड रहा, किस क्षेत्र में कितनी पूंजी आई, विभिन्न योजनाएं किस तरह लागू हुई आदि की जानकारी होती है। इसके साथ ही इसमें सरकारी नीतियों की पूरी जानकारी होती है।
कौन बनाता है आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ?
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है। इसे वित्त मंत्री के अनुमोदित करने बाद संसद में बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।
पहली बार देश में कब पेश किया गया था आर्थिक सर्वेक्षण ?
पहली बार देश का आर्थिक सर्वेक्षण वित्त वर्ष 1950-51 में पेश किया गया था। इसके बाद वर्ष 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण को जारी करता रहा है। पिछले कुछ सालों में आर्थिक सर्वेक्षण को दो खंडों में प्रस्तुत होता रहा है। लेकिन, इस बार देश में कोरोना की तीसरी लहर के चलते आर्थिक सर्वे एक खंड में पेश किया जा सकता है।