बलिया: बलिया के प्रवक्ता सुशील पाण्डेय ‘कान्हजी’ ने मंगलवार को प्रेस को जारी कर बताया कि किसानों के बारे में गलतबयानी करने वाले हैं देशद्रोही, देश के बड़े पूंजीपतियों को समर्पित भाजपा सरकार किसान आंदोलन को येन केन प्रकारेण कमजोर करना चाहती है। यह सरकार किसानों को निचोड़ कर पूंजीपतियों की तिजोरी को भरने में मशगूल है. कान्ह जी ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर 40 दिनों से किसान कड़ाके की ठण्ड और बारिश में अपने मजबूत इरादों और चट्टानी एकता का प्रदर्शन कर रहे हैं। यह किसान आंदोलन वर्तमान को बचाने के साथ ही साथ आनेवाली पीढ़ियों के भविष्य को बचाने का भी आंदोलन है। भारत ही नहीं दुनिया में यह किसान आंदोलन अनुकरणीय बन गया है, लेकिन देश के कुछ चुनिंदा पूंजीपति घरानों के निजी कर्मचारी की तरह कार्य कर रही वर्तमान सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने के लिए तरह-तरह के हथकंठे अपना रही है। इस सरकार के जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग आंदोलनकारी किसानों को देशद्रोही व आतंकवादी तक बोल रहे हैं जिसकी निंदा करने के लिए शब्द भी कम पड़ रहे हैं। सपा प्रवक्ता ने सरकार से मांग किया कि किसान आंदोलन के दौरान सभी मृत किसानों को सेनानी का दर्जा दिया जाय और उनके परिवार को पेंशन तथा वे सभी सुविधाएं दी जायं जो एक सेनानी के परिवार को दी जाती हैं। साथ ही आंदोलन के दौरान सरकारी पार्टी के जितने भी नेता किसानों और उनके आंदोलन के बारे में उलूल-जुलूल बयान दिए हैं, उनके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाय। कान्हजी ने कहा कि ये अन्नदाता देश की रीढ़ हैं.
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती कृषि से ही मिलती है। देश की सरहदों की सुरक्षा इन्ही किसानों के बेटे करते हैं। सबका पेट भरने का काम यही किसान अपने अपने परिश्रम के बल पर करता है। इनके बारे में गलतबयानी देशद्रोह के श्रेणी में ही आएगा। जिला प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा सरकार केंद्र की हो या राज्य की किसान आंदोलन के बयार को कम करने और देश के लोगो का ध्यान आंदोलन से भटकाने के लिए रोज नए-नए शिगूफे छोड़ रही है। जिसे देश की जनता अब जान और समझ चुकी है। समाजवादी पार्टी पूर्णरूप से किसानों के साथ है। देश में किसी भी दल ने किसानों के समर्थन इतना लम्बा आंदोलन नहीं चलाया है। जितना लम्बा आंदोलन सपा ने चलाया है। कहा कि अभी आज भी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता गाँव-गाँव किसान घेरा कार्यक्रम चला रहे हैं।