पटना। संविधान दिवस के अवसर पर बिहार विधान परिषद सभागार में आयोजित कार्यक्रम में संसद के केन्द्रीय कक्ष में हुए कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया। इस कार्यक्रम में राष्टï्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में भारत का संविधान के उद्देशिका का पाठ किया गया।
विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने राष्टï्रपति के वक्तव्य को अत्यंत सारगर्भित एवं प्रेरक बताया। अपने संबोधन में राष्टï्रपति ने कहा कि ग्राम सभा, विधानसभा और संसद के निर्वाचित प्रतिनिधियों की लोगों के कल्याण के लिए और राष्टï्रहित में कार्य करने की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह जन सेवा के वास्तविक उद्देश्य में बाधा बने। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जन-कल्याण के लिए बेहतर काम करने की होनी चाहिए और तभी इसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा माना जाएगा।
संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सब लोग यह मानते हैं कि हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है इसलिए हर सांसद की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वे लोकतंत्र के इस मंदिर में श्रद्धा की उसी भावना के साथ आचरण करें, जिसके साथ वे अपने पूजा गृहों और इबादतगाहों में करते हैं। संसद में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्यो कि भारत का संविधान देश की विविधताओं को संयोजित करता है, इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया।
विधान परिषद् के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को मद्य निषेध का शपथ दिलाने के पश्चात सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि हम जहां भी रहें, सतर्क होकर अपने आसपास मद्य निषेध को सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्य निष्ठï रहें। उन्होंने कहा कि संविधान की भावना इस देश के नागरिकों के कल्याण की है। इस अवसर पर विधान परिषद् के सदस्य रामवचन राय,रोजिना नाजिश, कुमुद वर्मा, संजय कुमार सिंह, ललन सर्राफ,सी पी सिन्हा, परिषद् के सचिव विनोद कुमार सहित परिषद के सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।