मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है, इस पर्व का व‍िशेष महत्‍व

बिहार पत्रिका डेस्क: देशभर में मकर संक्रांति के पर्व का व‍िशेष महत्‍व है. इस त्योहार को हर साल जनवरी के महीने में धूमधाम से मनाया जाता है. इस द‍िन सूर्य उत्तरायण होता है यानी कि पृथ्‍वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है. मान्यता है कि इस द‍िन सूर्य मकर राश‍ि में प्रवेश करता है. देश के व‍िभिन्‍न राज्‍यों में इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी, उत्तराखंड में घुघुतिया या काले कौवा, असम में बिहू और दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है. हालांकि प्रत्‍येक राज्‍य में इसे मनाने का तरीका अलग होता है, लेकिन सब जगह सूर्य की उपासना जरूर की जाती है. इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को है.

मकर संक्रांति 2021 स्नान मुहूर्त-

14 जनवरी को मकर संक्रांति का प्रारंभ सुबह 08 बजकर 30 मिनट से हो रहा है। मकर संक्रान्ति पुण्य काल सुबह 08:30 बजे से शाम 05:46 बजे तक है। संक्रान्ति पुण्य काल की कुल अव​धि 09 घंटा 16 मिनट की है। मकर संक्रान्ति का महा पुण्य काल 08:30 बजे से 10:15 बजे तक है। यह अवधि कुल 01 घंटा 45 मिनट की है। मकर संक्रांति का महा पुण्य काल स्नान तथा दान के लिए उत्तम होता है। ऐसे में आप स्नान तथा दान सुबह 08:30 से 10:15 बजे के मध्य कर लें। हालांकि मकर संक्रांति के दिन सुबह 08:30 बजे से लेकर शाम 05:46 बजे के मध्य कभी भी स्नान-दान किया जा सकता है।

आइये जानते इस त्यौहार के ख़ास पेहलू-

पौष माश में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तभी हिन्दू मकर संक्रांति मनाते है। संक्रांत के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति होती है इसलिए इस त्यौहार को कहीं कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं। माना जाता हैं कि इस भगवान सूर्य अपने पुत्र शानि से मिलने उनके घर जाते हैं जो कि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं इसलिए इस त्यौहार को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस दिन जप, तप और दान ऐसी धर्म क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। इस दिन दिया हुआ दान सो गुना बढ़कर दिया है ऐसा माना जाता है। इस दिन तिल और गुड़ का दान करना शुभ होता है

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