लॉकडाउन के दौरान ली जा रही फीस को लेकर अभिभावकों ने जयनगर चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने अधिकारीयों को दिया आवेदन, की जल्द करवाई की मांग

यूं तो कोरोना काल के कारण हर व्यवसाय ओर व्यापारियों को आर्थिक नुकसान ओर व्यवसायिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। इस कोरोना काल मे स्कूल, कॉलेज, मॉल, सिनेमाघर, जिम इत्यादि सभी सम्पूर्ण लॉक डाउन के कारण बन्द रहे। अब अनलॉक के चरणबद्ध तरीके से उन सभी को खोला जा रहा है, ऐसे में सभी प्रबंधक अपने-अपने स्तर से राहत दे भी रहे हैं। कई स्कूल के संचालकों ने जहाँ पूरी की पूरी फीस माफ़ कर दी है वहीँ दूसरी तरफ कुछ स्कूल प्रबंधन इस परिस्थिति में भी कोरोना काल को अवसर में बदल कर बढ़ी हुई फीस ओर हिटलर जैसे तानाशाह रवैया अख्तियार कर छात्रों के भविष्य के साथ खेल कर रहे हैं।

जयनगर के भी कुछ स्कूल प्रबंधन मनमानी पर आतुर हैं। जब भी स्कूल प्रबंधक से अभिवावक सहयोग और रियायत की बात करते हैं, स्कूल प्रबंधक गुस्से से आग बबूला होकर विद्यार्थी को फीस ओर अन्य दूसरे शुल्कों के लिए मानसिक प्रताड़ित करने लगते है। ऐसे अगर किसी बच्चे ने कुछ अनहोनी कर ली, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ?

इधर अभिवावकों की परेशानी यह है कि कोरोना काल के कारण वैसे ही आर्थिक हालात ठीक नही है, ऊपर से स्कूल प्रबंधन का ऐसा तानाशाह रवैया उनके लिए मुसीबत खड़ी है।

इस मामले में अभिवावक जयनगर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के माध्यम से कई उच्च पदाधिकारियों को चिट्ठी लिख, इस परेशानी से अवगत कराया, पर अभी तक नतीजा सिफर ही निकला। परेशान होकर अभिवाकों ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से गुहार लगाई और कहा हमारी मदद कीजिये।
जानकारी देते हुए एक अभिवावक आलोक चौखानी ने बताया कि इतना टार्चर किया जा रहा है, की कहीं बच्चे आत्महत्या या कुछ गलत कदम न उठा लें। स्कूल प्रबंधन का क्या जाएगा, पर हमारा किसी अभिवावक का तो आशियाना ही उजड़ जाएगा।

वहीं एक महिला अभिवावक कामिनी साह ने बताया कि हमें न बता कर बच्चों के मोबाइल पर कॉल करके फीस वगैरह सब मांगा जा रहा है, साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि अगर जमा नही किया तो करियर बर्बाद कर देंगें, प्रैक्टिकल के 20 नंबर नही देंगें, जो स्कूल प्रबंधन के हाथ मे होता है, वगैरह-वगैरह।
ऐसे में परेशान अभिवावक ओर बच्चों की मदद के बजाय स्कूल प्रशासन दबाब बना कर किसी बड़ी अनहोनी को लगातार दावत दे रहा है।

मधुबनी से संतोष कुमार की रिपोर्ट

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