आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आज शुक्रवार 2 जून 2023 को संस्कृति मंत्रालय, गोलकुंडा किले में तेलंगाना राज्य का स्थापना दिवस मना रहा है। इस संबंध में संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्रीय विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी ने शुक्रवार को ध्वजारोहण कार्यक्रम के साथ दो दिवसीय उत्सव का उद्घाटन किया। यह समारोह ”एक भारत श्रेष्ठ भारत” पहल के तहत आयोजित किया गया है।
Celebrating the Spirit of Telangana!
Unfurled the Tiranga at the Golkonda fort at the inauguration ceremony of two-day festivities commemorating the 10th Telangana Formation Day.#TelanganaFormationDay #Golconda pic.twitter.com/AJSQnlNfpg
— G Kishan Reddy (@kishanreddybjp) June 2, 2023
यह 10वां तेलंगाना स्थापना दिवस
इस संबंध में संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्रीय विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी ने ट्वीट कर कहा, तेलंगाना स्थापना दिवस के मौके पर शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह उन लोगों की अदम्य भावना को श्रद्धांजलि होगी जिनके बलिदान ने तेलंगाना के सपने को साकार किया है।
तेलंगाना राज्य का विजन किया याद
एक और ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, आज 10वां #TelanganaFormationDay समारोह आयोजित किया जा रहा है। तेलंगाना आंदोलन केवल कुछ राजनेताओं और प्रवक्ताओं का आंदोलन नहीं था; आंदोलन ट्रेड यूनियनों, छात्रों, कामकाजी मध्यम वर्ग और किसानों-लोगों का था। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने आज #EkBharatSresthaBharat की भावना के साथ हैदराबाद में #Golconda Fort में उनके बलिदानों और तेलंगाना राज्य के लिए विजन को याद करते हुए इसकी शुरुआत की है।
तेलंगाना को भ्रष्टाचार मुक्त विकास इंजन बनाने के लिए मिलकर करें काम
आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा, यह उत्सव उनकी विरासत और अद्वितीय योगदान के साथ-साथ शहीदों के माता-पिता और परिवार के सदस्यों को सम्मानित करने का एक प्रयास है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने कहा, मैं छात्रों, सीएपीएफ कर्मियों और अन्य लोगों को उनकी उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए बधाई देता हूं और सभी से आग्रह करता हूं कि वे सुशासन और समावेशी कल्याण के सिद्धांतों के आधार पर तेलंगाना को भ्रष्टाचार से मुक्त विकास इंजन बनाने के लिए मिलकर काम करें।
तेलंगाना का उत्सव पहचान, संस्कृति और विरासत का उत्सव
उन्होंने यह भी कहा कि तेलंगाना का उत्सव केवल उसके राज्य का उत्सव नहीं है, यह अपनी पहचान, संस्कृति और विरासत का उत्सव है। वास्तव में तेलंगाना का जश्न मनाने के लिए, तेलंगाना की संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि समारोह में संचालित होने वाली गतिविधियों के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिनमें फोटो एवं पेंटिंग प्रदर्शनी, डॉ. आनंद शंकर और उनके समूह द्वारा शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन, मंजुला रामास्वामी तथा उनके समूह द्वारा आयोजित कार्यक्रम शामिल हैं। समारोह के दौरान जनता को प्रसिद्ध तेलुगु गायिका मंगली व मधुप्रिया के गायन को सुनने का भी अवसर मिलेगा। कार्यक्रम का समापन गायक शंकर महादेवन के शानदार प्रदर्शन के साथ होगा, जिसमें देशभक्ति के गीत भी प्रस्तुत किये जाएंगे। यह कार्यक्रम शाम के वक्त तय किया गया है।
लोक-नृत्यों की होंगी मनमोहक प्रस्तुतियां
वहीं 3 जून 2023 को दिमसा, डप्पू, बोनालू और गुसादी सहित अन्य लोक-नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां होंगी। इसके अलावा, राजा राममोहन राय पर आधारित एक नाट्य प्रस्तुति का मंचन किया जाएगा और फिर दिन का समापन बहुभाषी मुशायरे के साथ होगा।
भारत के सांस्कृतिक गौरव को मिलेगा विषयवार बढ़ावा
यह आयोजन किला एवं कहानियां नामक विशेष अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में किलों और उनके शानदार इतिहास को उजागर करना तथा भारत के सांस्कृतिक गौरव को विषयवार बढ़ावा देना है। सांस्कृतिक गौरव की विषयवस्तु भारत की जीवंत संस्कृति व इतिहास का सम्मान है। यह उन गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जिन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्रता और उज्जवल भविष्य के लिए निःस्वार्थ रूप से अपने वर्तमान का बलिदान कर दिया।
यह मूल रूप से हमारी सांस्कृतिक पहचान के मूर्त और अमूर्त दोनों पहलुओं का उत्सव मनाता है। इस विषय के तहत, किला एवं कहानियां अभियान भारत में विभिन्न किलों की अनूठी विशेषताओं तथा ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करने का प्रयास करता है, जो हमारे अतीत से जुड़ने व हमारी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने का अवसर प्रदान करता है।
किला एवं कहानियां अभियान के तहत, चित्तौड़गढ़ और कांगड़ा जैसे किलों में कई कार्यक्रम पहले ही आयोजित हो चुके हैं, जबकि अन्य स्थानों जैसे बिठूर किला, मांडू किला, झांसी किला और कांगला किला आदि प्रमुख स्थलों के लिए आयोजन की योजना बनाई गई है।
तेलंगाना के बारे में…
तेलंगाना का नाम तेलुगु अंगना शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है वह स्थान जहां तेलुगु बोली जाती है। निजामों के जमाने में 1724-1948 के आसपास, उन्होंने तेलंगाना शब्द का प्रयोग किया जो इसे उनके मराठी भाषी क्षेत्रों से अलग करता है। तेलंगाना, एक भौगोलिक और राजनीतिक इकाई के रूप में 2 जून, 2014 को 29 वें और संघ के सबसे युवा राज्य के रूप में बना था। हालांकि, एक आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक इकाई के रूप में इसका कम से कम दो हजार पांच सौ साल या उससे अधिक का गौरवशाली इतिहास रहा है।
तेलंगाना के कई जिलों में पाए गए केर्न्स, सिस्ट, डोलमेंस और मेन्हीर जैसी मेगालिथिक पत्थर की संरचनाएं दर्शाती हैं कि हजारों साल पहले देश के इस हिस्से में इंसानी बस्तियां थीं। कई जगहों पर लौह अयस्क गलाने के अवशेष मिले हैं। यह स्थान कम से कम दो हजार वर्षों के लिए तेलंगाना में कारीगरी और उपकरण बनाने की पुरानी जड़ों को प्रदर्शित करते हैं। अस्माका जनपद, वर्तमान तेलंगाना का हिस्सा, प्राचीन भारत में 16 जनपदों में से एक के रूप में इसे साबित करता है कि वहां समाज का चरण एक उन्नत अस्तित्व था। इस राज्य का गठन तत्कालीन आंध्र प्रदेश राज्य के विभाजन के परिणामस्वरूप हुआ था। तेलंगाना राज्य के दक्षिण और पूर्व में आंध्र प्रदेश, पश्चिम में महाराष्ट्र और कर्नाटक और उत्तर में ओडिशा और छत्तीसगढ़ हैं।