सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानि ‘पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम’ परियोजना देशभर में नागरिकों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। इसे भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली द्वारा स्थापित किया गया है। इसके द्वारा देश में गरीबों को सब्सिडी दरों पर खाद्यान्न वितरित किया जाता है। यह वितरण देश भर के कई राज्यों में स्थापित राशन की दुकानों के माध्यम से किया जाता है। मुख्य रूप से दिए जाने वाले पदार्थों में मुख्य अनाज जैसे गेहूं, चावल,चीनी और मिट्टी के तेल जैसे आवश्यक ईंधन शामिल है। भारतीय खाद्य निगम एक सरकारी स्वामित्व की संस्था द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खरीद और रखरखाव करता है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली देश में खाद्य अर्थव्यवस्था प्रबंधन के लिए सरकार की नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सस्ती कीमतों पर खाद्यान्न के वितरण के माध्यम में कमी के प्रबंधन की प्रणाली के रूप में सामने आई है।
संचालन केंद्र और राज्य की संयुक्त जिम्मेदारी
सार्वजनिक वितरण प्रणाली अथवा पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम जिसे हम पीडीएस के नाम से जानते हैं, इसका संचालन केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त जिम्मेदारी होती है। जहां केंद्र सरकार ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से राज्य सरकारों के खाद्यान्न खरीद, भंडारण, परिवहन और थोक आवंटन की जिम्मेदारी ली है तो वहीं राज्य सरकार ने राज्य के भीतर आवंटन पात्र परिवारों की पहचान राशन कार्ड जारी करना और उचित मूल्य की दुकान आदि की व्यवस्था और कामकाज की निगरानी सहित परिचालन की जिम्मेदारी ले रखी है।
किसे मिलेगा कितना अनाज
पीडीएस योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले प्रत्येक परिवार हर महीने 34 किलोग्राम चावल अथवा गेहूं के पात्र हैं जबकि गरीबी रेखा से ऊपर के परिवार की पात्रता 14 किलोग्राम खाद्यान्न है। सार्वजनिक व्यय और कवरेज के क्षेत्र में इसे सबसे महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा नेटवर्क समझा जाता है।
उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस)
भारत के सार्वजनिक प्रणाली का वह हिस्सा जो गरीबों को रियायती दरों पर राशन वितरित करता है, उस सार्वजनिक वितरण की दुकान को उचित मूल्य की दुकान (FPS) के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोग इसे राशन की दुकान कहते हैं।
राशन की दुकान से कम दरों पर राशन प्राप्त करने के लिए राशन कार्ड का होना आवश्यक है। हर परिवार का राशन कार्ड उनकी आर्थिक क्षमता के आधार पर बनता है। राशन की दुकान अब अधिकांश इलाकों गांव, कस्बों और शहरों में उपलब्ध है। भारत में 5.5 लाख से अधिक दुकानें हैं, यह दुनिया में सबसे बड़ा वितरण नेटवर्क है।