– हर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर रेडिएंट वार्मर मशीन की उपलब्धता
– हाइपोथर्मिया में कंगारू मदर भी लाभकारी
– हमेशा नवजात को कपड़े में लपेट कर रखें
संदीप रंजन
मुजफ्फरपुर। 2 जनवरी
नवजात शिशुओं को हाइपोथर्मिया (ठंड में बुखार) से बचाने के लिए अब आशाएं और एएनएम घर-घर जाकर मां और परिवार को शिशुओं को कपड़े में लपेटने का तरीका सिखा रही हैं। दरअसल, डॉक्टरों का मानना है कि सही तरीके से ढके हुए नवजात शिशुओं को अपना तापमान बनाए रखने और हाइपोथर्मिया से बचे रहने में मदद मिलती है। स्वास्थ्य विभाग ने इसको लेकर विशेष प्रयास करने का निर्देश दिया गया है।
सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद सिंह का कहना है नवजात शिशुओं को जन्म के 28 दिनों तक सबसे अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। शिशु के शरीर का कम तापमान (सामान्य से कम) हाइपोथर्मिया और संक्रमण के जोखिम को बढ़ाता है। ऐसे में शिशु के शरीर की गर्माहट बनाये रखने के लिए उसे एक बड़े साफ मुलायम सूती कपड़े से सिर से पैर तक इस प्रकार ढका जाता है कि शिशु का सिर्फ मुंह ही खुला रहे। इस नयी विधि से ढके हुए शिशु अपना तापमान बनाये रखने में अधिक सक्षम होते हैं। इस काम के लिए आशाओं को समय समय पर प्रशिक्षित भी किया जाता है।
जिले के 16 ब्लॉक के हर उस स्वास्थ्य केंद्र जहां पर प्रसव की व्यवस्था है रेडिएंट वार्मर मशीन की भी सुविधा है। सरकार की ओर से जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत नवजात में हाइपोथर्मिया श्वसन क्रिया में होने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए रेडियंट वार्मर मशीन उपलब्ध है। ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसूताएं बच्चे को जन्म देती हैं। कभी-कभी हाेता है कि जन्म के बाद नवजात बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है। इससे डाॅक्टर बच्चों को मुंह से हवा देते हैं। इसके बाद भी यदि बच्चे को परेशानी होती है तो उन्हें बड़े अस्पतालों में रिफर करना पड़ता है। शिशु के शरीर को गर्म करने के लिए डाॅक्टर उसके शरीर हाथ व पैरों का रैंप करते हैं। इससे शिशु के शरीर का तापमान संतुलित किया जाता है। स्वास्थ्य केंद्रों में रेडियंट वार्मर मशीन लगने से ऐसे बच्चों का भी उपचार संभव है।
कंगारू मदर केयर है कारगर:
कंगारू मदर केयर भी है कारगर
कमजोर नवजातों की उचित देखभाल की कड़ी में ‘कंगारू मदर केयर’ का़फी असरदार प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में मां या अन्य कोई परिवार बच्चे को छाती से चिपकाकर रखता है जिससे नवजात को गर्मी मिलती है। नतीजतन नवजात को हाइपोथर्मिया से बचाव के साथ उसके वजन में भी वृद्धि होती है। यह प्रक्रिया उनके बेहतर शारीरिक विकास में भी सहयोग मिलता है।