‘अतिथि देवो भव:’ कई बार सुना लेकिन जाना पहली बार कि अतिथि केवल देवता नही, राक्षस भी हो सकता है मेहमान नवाजी का ये कौन सा तरीका है ? कोई रुकता है क्या इतने दिन ! तुम तो कुंभकर्ण की तरह लम्बी ही जमा कर बैठ गए और अब तुम्हारे जाने की कोई संभावना नजर नहीं आती। जरूर तुम्हारे देश मे खाने-पीने की प्रॉब्लम है तभी तो भूख से बिलबिलाए यहाँ से वहाँ भटक रहे हो। क्या तुम्हें अपना चायना याद नहीं आता? क्या तुम्हे तुम्हारी जन्म भूमि यानि बुहान…
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