पप्पू यादव ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सवणों को संविधान संशोधन कर 10% आरक्षण की व्यवस्था, संविधान क मूलभावना के विरूद्ध है।
उन्होंने कहा कि संविधान में आरक्षण का प्रावधान सामाजिक, शैक्षणिक रूप से कमजोर वर्ग जाति के लिए किया गया है, जिनका सभी क्षेत्रों में प्रतिनिधितव का अभाव है। उनहें आगे बढ़ाने के लिए विशेष अवसर दिए जाने का प्रावधान किया गया है। आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है। आजादी के बाद आबादी के अनुसार Sc वर्ग को 15% एवं St वर्ग को 7.5% आरक्षण दिया गया है।
पिछड़े वर्ग यानि OBC के उत्थान के लिए जब आरक्षण की बात चली तब काका कलेकर आयोग, मुंगेरी लाल आयोग एवं मंडल आयोग का गढ़न किया गया। जिसके आधार पर 1990 में माननीय प्रधानमंत्री बी.पी. सिंह ने 67.5% OBC के लिए 27: आरक्षण लागू किया। बी.पी. सिंह द्वारा आरक्षण लागू करने के बाद यथास्थितिवादियों का जमीन खिसकने लगी तब उनको लगने लगा कि जिन कौम को हम हजारों सालों से सामाजिक, आर्थिक शैक्षणिक एवं मानसिक रूप से गुलाम रखा, वैसे समाज का हर क्षेत्र में उत्थान प्रारंभ हो जाएगा और गुलामी से बाहर हो जाएगा। इसको ध्यान में रखकर 1991 में कांग्रेस के द्वारा नई आर्थिक नीति लाई गई। जिसको वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा भी समर्थन किया गया।
श्री यादव ने कहा कि इसके बाद बहुराष्ट्रीय कम्पनी के लिए भारत ने सभी दरवाजे खोल दिए गए। नीजि क्षेत्र का बढ़ावा दिया जाने लगा और सरकारी क्षेत्र के सेवा का अवसर घटाए जाने लगा।
दुसरी ओर सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से गुलाम रखने के उदेश्य से धार्मिक अनुष्ठान, राम मंदिर जैसे उतेजक मामले को लाकर अंध विश्वास एवं पाखंण्डवाद का बढ़ावा ब्राहम्णवाद के माध्यम से किया जाने लगा।
मोदी के कार्यकाल में लाभकारी सार्वजानिक उपक्रमों को नीजि हाथों में सौप कर सरकारी नौकरी/सेवा को विलकुल समापत करने का षडयंत्र किया गया है। सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में 13 पवांइन्ट रोस्टर लाकर शिक्षकों को अध्यापक/प्रध्यापक बनने से वंचित कर दिया गया जो इनके अमानवीय प्रवृति के घोतक है।
पप्पू यादव ने कहा कि वर्ष 2019 में आनन-फानन में आर्थिक रूप से पिछड़े सवणों को संविधान संशोधन कर 10% आरक्षण की व्यवस्था की गई जो संविधान क मूलभावना के विरूद्ध है। विदित हो कि पूर्व में जातीय जनगणना में यह देखा गया है कि सवर्ण जातियों की जनसंख्या 10% के ही आस-पास है। यानि 10% सवर्ण को 10% आरक्षण दे दिया गया हैं, ज्ञात हो कि 67.5% पिछड़ों की आबादी रहने के बावजूद मात्र 27% आरक्षण दिया गया और सुप्रिम कोर्ट ने बताया था कि किसी हालत में 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। मोदी सरकार के द्वारा सवर्णों को आबादी के हिसाब से 10% की आरक्षण संविधान संशोधन कर दिया गया तो अब बाकी 90% आरक्षण 90% पिछड़ों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति को दे देना होगा, संविधान संशोधन करे।
आजादी के बाद से ही सभी क्षेत्रों में जो सरकारी/गैर सरकारी सर्वेक्षण आया है, उसमें देखा गया है कि आरक्षण मिलने के बावजूद Sc/St एवं OBC का पतिनिधतव नगण्य है। इसके पिछे मूल कारण है आरक्षण देने वाला व्यक्ति (नियुक्तिदाता) के महत्वपूर्ण पदों पर सवर्ण या सवर्णमानसिकता के लोगों का होना। इसलिए जरूरत है कि सम्पूर्ण आरक्षण व्यवस्था के लिए 90% आबादी को 90% आरक्षण नीजि क्षेत्र समेत सभी क्षेत्रों में दिया जाय ताकि इनको अपना हक मिले। प्रतिनिधित्व मिले। इसके लिए यह जन जागरण कार्यक्रम है। हम जन क्रांति खड़ा कर रहे है।
‘‘याचना नहीं अब रण होगा’’
‘‘जीवन जय या कि मरण होगा’’
इस प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि 90ः लोगों के लिए 90% आरक्षण का माॅग जायज है जब 10% को 10% आरक्षण मिल गया है, मैं मुख्यमंत्री रहते ठिकेदारी में आरक्षण लागू किया था। पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद ने कहा कि अब आरक्षण नीजिक्षेत्र, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, पत्रकारीता, ठिकेदारी, बैक ऋण, कम्पनी लगाने में पंचायतीराज में भी 90% चाहिए। पप्पू यादव ने कहां कि 90% आरक्षण के लिए हम सड़क से संसद तक संघर्ष करेंगे और तन-मन-धन से इस अधिकार को हासिल करेंगे।
पूर्व न्यायधीश दामोदर प्रसाद ने कहा कि 10% फारवड़ों को आरक्षण देना संविधान के मूल भावना से खिलवाड़ करना है। डाॅ. (प्रो0) इन्दल सिंह नवीन ने इस आन्दोलन को जन जन तक पहुचाने पर जोर दिया ताकि शोषको को सबक मिल सके। श्री रघुनीराम शस्त्री ने कहा कि हमारी पार्टी जगदेव बाबू की पार्टी है जो पहुँत पहले कहे थे कि ‘‘सौ में नब्बे शोषित हैं नब्बे भाग हमारा है’’ इस प्रेसवार्ता में डाॅ0 शान्तुनु संविधान विशेषज्ञ वकिल अरूण कुशवहा, प्रो0 हिन्द केसरी, प्रत्रकार एवं समाज सेवी गोपाल जी बौद्ध, संतोष कुशवाहा-प्रदेश अध्यक्ष वी.आई.पी. पार्टी, रामानुज जी शोसित समाज दल ने भी अपनी बात रखी।