पटना।
राजद व्यासायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रणविजय साहू ने केन्द्र सरकार से माँग किया है कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के लिए बीआईएस लाइसेंस की अनिवार्यता खत्म करें। बड़े औद्योगिक घराने के इशारे पर औद्योगिक नीति बनाने वाले केन्द्र की सरकार द्वारा हाल में जारी दिशा-निर्देश के कारण पूरे देश की 10 हजार से ऊपर लघु उद्योग के रूप में स्थापित
पीवीसी पाईप की फैक्ट्रियाँ बन्द होने की स्थिति में आ गई है। बिहार का प्लास्टिक उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला राज्य हो गया है क्योंकि यहाँ सिर्फ लघु उद्योग ही स्थापित है। महात्मा गाँधी के सपने को चूर-चूर करने में भाजपा की सरकार लगी हुई है।
महात्मा गाँधी लघु उद्योग के सबसे बड़े हिमायती थे। केन्द्र सरकार ने फरमान जारी किया है कि देश में सिर्फ भारत मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप ही 1 अक्टूबर 2021 से प्लास्टिक पाईप बनाने की ईजाजत होगी। लघु उद्योगों को इसका पालन करने की स्थिति में 20 लाख का लेबोरेटीरिज स्थापित करने के लिए तथा कच्चा माल के लिए कम से कम एक करोड़ रुपया का खर्चा आएगा। जो व्यवसायी 20-25 लाख पूँजी लगाकर किसी तरह आत्मनिर्भर बनने का प्रयास किया है वे कहां से इतनी पूंजी लाएंगे। केन्द्र सरकार लघु उद्योग को समाप्त कर बड़े औद्योगिक घराने को पूरे देश में माल बेचने की अप्रत्यक्ष रूप से ईजाजत दिया है। इस स्थिति में बिहार की 90
पीवीसी पाईप फैक्ट्रियाँ बन्द हो जाएगी।
बाकी बचे 20 फैक्ट्रियाँ भी बुरी तरह से प्रभावित होगा। हजारों लोग एक साथ बेरोजगार हो जायेंगे तथा लाखों लोग भूखमरी की स्थिति आ जाएगा। श्री साहु ने कहा कि उद्योग को बचाने के लिए राजद हर स्तर पर पहल करेगा और केन्द्र की इस लालफ ीता शाही फ रमान का कड़े शब्दों में निंदा की। आज लगभग दो वर्षों से प्राकृतिक आपदा कोरोना महामारी झेल रहे व्यवसायी काफ ी तनाव में हैं। कर्मचारी को वेतन देने पर भी संकट है। इस स्थिति में केंद्र सरकार को लघु उद्योगों को राहत देना चाहिए था लेकिन ठीक इसके विपरीत इस उद्योग को समाप्त करने में लग गई है। सरकार से माँग करते हैं कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योग को भारतीय मानक व्यूरो के मानक पर उत्पादन करने की बाध्यता खत्म की जाए।
श्वेता / पटना