पटना, 25 सितंबर जानेमाने स्पैनिश गिटारिस्ट प्रवीण कुमार बादल दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला के बच्चों को नि.शुल्क गिटार का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
राजधानी पटना के कुरथौल के फुलझड़ी गार्डन संस्कारशाला में बच्चों को नि.शुल्क शिक्षा, संगीत, सिलाई-बुनाई और डांस का प्रशिक्षण दिया जाता है।
दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापिका डा. नम्रता आनंद ने बताया कि प्रवीण कुमार बाद संस्कारशाला के बच्चों को नि.शुल्क गिटार का प्रशिक्षण दे रहे हैं। गिटार के प्रथम बैच में प्राची, आदित्या, दीपक,रानी, प्रियंका, अंजली, राजनंदनी, लवली, आयुष, ऋषिता, सागर, प्रिंस, स्वाति, बिट्ट, रिया, राखी संजनी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।उन्होंने बताया कि बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार देना हम सब की जिम्मेवारी है। बच्चों को सही शिक्षा, पोषण, संस्कार मिले यह देश हित के लिए बेहद अहम है क्योंकि आज के बच्चे ही कल का भविष्य हैं। गीत-संगीत जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है।
इस दिशा में हम हर संभव प्रयास करेंगे, जिससे संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहे।उन्होंने कहा कि कला संस्कृति की सनातन गरिमा संजोने एवं उसके संरक्षण के लिए दीदीजी फाउंडेशन हर संभव प्रयास करेगा।गीत-संगीत दिलों दिमाग से खुश रखकर हमे एक ऊर्जावान जीवन दे सकता है।संगीत वह शक्तिशाली माध्यम है, जो हमारी ध्यान की शक्ति को बढ़ाता है और हमेशा हमारे जीवन में आयी नकारात्मकता को दूर कर हमे सफलता के ओर अग्रसित करता है। संगीत में एक दिव्य शक्ति है। यह मनोरंजन का एक बड़ा स्रोत है।
प्रवीण कुमार बादल ने कहा, प्राचीन ग्रीक में गिटार को कितारा कहा जाता था। बाद में यह शब्द दुनिया के सभी देशों में गिटार के नाम से मशहूर हो गया। गिटार के अविष्कार के बाद इसके रूप में कई परिवर्तन आये। पहले गिटार एक सामान्य लकड़ी के टुकड़े पर कुछ तार बांधकर बजाया जाता था, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आने लगे और लकड़ी के टुकड़े को छोटा आकार देकर इसे गोल कर दिया गया।मै 20 वर्षो से गिटार सीख रहा हूं और सीखा रहा हूँ मै बहुत बच्चे बच्चियों को जिनको पैसे का आभाव है मुफ्त मे संगीत की शिक्षा दे रहा हूँ और मुझे अच्छा लगता है।
संगीत हमारे जीवन मे सकारात्मक प्रभाव डालते है जिससे नविन ऊर्जा की अनुभूति होती है।आज के इस भाग -दौड़ की ज़िन्दगी मे लोग हँसना- गाना भूलते जा रहे है। मेरा प्रयास रहता है ज्यादा से ज्यादा लोगो तक संगीत को पहुंचा सकूं।