पटना 14 सितम्बर 2021 : कोरोना के दूसरे वेब के दौरान जब मध्य और दक्षिण बिहार के ज्यादातर लोग अपने घरो में बंद रहे और क्लीनिक पर ताला लटका रहा। उस समय मानसिक बीमारियों से परेशान रहने वाले ज्यादातर मरीजों की परेशानी भी बढ़ी। देश के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में मरीजों की एंट्री पूरी तरह बंद रहा। लेकिन बिहार के डेहरी-ऑन-सोन शहर में करीब तीन दशकों से मानसिक रोगियों का इलाज करने वाले डॉ यू के सिन्हा अपने सेवा कार्य में लगातार लगे रहे।
भीषण कोरोना संकट के दौरान भी वो अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे। इस दौरान बिहार के औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर, बक्सर और भोजपुर के अलावा सीमावर्ती झारखंड के पलामू और गढ़वा के मरीजों का इलाज किया गया । सेवा ही धर्म के भाव से कार्य करने की प्रेरणा से वो अपने जन्मभूमि डेहरी-ऑन-सोन में आम लोगों के सरोकार और बेहतरी के लिए कार्य कर रहे हैं। संवेदना न्यूरो सायकियेट्रिक रिसर्च सेन्टर के स्थापना के रजत जयंती समारोह के अवसर पर प्रख्यात चिकित्सक डॉ० उदय कुमार सिन्हा ने बताया कि लगातार तीन महीने तक पूरा देश लाॅक डाउन के संकट से जुझता रहा। लेकिन वो अपने कार्यों से कभी भी पीछे नहीं हटे।
उन्होंने कहा कि उनके सहयोगियों, परिवार के लोगों और अपने स्टाफ की बदौलत को काम कर रहे थे। जिनके समर्पण से मानसिक परेशानी से गुजरने वाले लोगों की लगातार इलाज जारी रहा। डेहरी के पाली रोड में स्थित संवेदना न्यूरोसायकियेट्रिक रिसर्च सेन्टर मे आज भी पूरे शाहाबाद और मगध और झारखंड के मरीज बेहतर इलाज के लिए पहुंचते हैं। करीब 35 स्टाफ दिन रात उनकी सेवा में लगे हुए हैं।बेहतर परामर्श के साथ साथ यहां हर तरीके से जांच की सुविधा उपलब्ध है।
इस संस्थान के निदेशक एवम मनोवैज्ञानिक डा० मालिनी राय ने कहा कि कोरोना काल में मानसिक परेशानियों से ग्रसित व्यक्तियो को हर संभव परामर्श दिया जाता रहा।पिछले वर्ष सितंबर 2020 से अगस्त 2021 के अवधि मे बिहार-झारखंड के अलावा दूसरे राज्यों से करीब 34968 लोगों को मानसिक रोग से संबंधित परामर्श दिया गया. जिसमें 17144 महिलाएं और 17824 पुरूष हैं। उन्होंने बताया कि मरीजों में 20 साल से कम उम्र के 8150 मरीज, 21 से 40 साल के उम्र के 17473 मरीज, 41 से 60 साल के उम्र वर्ग के 7093 मरीज और 60 साल से ज्यादा उम्र वर्ग के 2252 मरीज डेहरी के इस प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में परामर्श लेने के लिए पहुंचे।
उन्होंने बताया कि पहले से लोगों में मानसिक रोग के प्रति जागरूकता बढी है।इसमें मिडिया की भूमिका अहम है।अब ग्रामीण आबादी भी अँधविश्वास से परहेज करते हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक रोग एक बीमारी है पागलपन या हिस्टीरिया एक अपमानजनक शब्द है जो इस बिमारी से ग्रसित व्यक्ति को और भी परेशान करता है। डॉ० मालिनी राय ने कहा कि आम लोगों में इसके लिए जागरूकता की जरूरत है । पिछले 10 साल में मानसिक रोग के प्रति लोगों में जागरूकता काफी तेजी से बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि मानिसक समस्याओं को बेहतर परामर्श से खत्म किया जा सकता है। इस संस्थान के आँकड़ों से एक गंभीर तथ्य सामने आया है कि हमारी युवा आबादी मानसिक रूप से ज्यादा परेशान है। यह समाज और देश के लिए सतर्क होने की बात है। मानसिक परेशानी से ग्रसित ज्यादा से ज्यादा लोगों के सहयोग के लिए उषा श्याम फाउंडेशन का गठन किया गया है। इस फाउंडेशन का कार्य क्षेत्र मानसिक स्वास्थ्य के अलावा खेल कूद, सांस्कृतिक विकास एवम् पर्यावरण संरक्षण है।