अब वह समय आ गया है जब हर लिहाज से कृषि में क्रांतिकारी बदलाव हो रहे हैं और देश के किसान खुशहाल हो रहे हैं। भारत कृषि निर्यात समेत कृषि क्षेत्र के कई मामलों में नए-नए रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। इसी क्रम में कृषि निर्यात अब 50 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है।
स्मार्ट कृषि की बड़ा रोल
कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में आज के युग की ‘स्मार्ट कृषि’ का बड़ा योगदान है। कृषि के पुराने तौर-तरीकों को बदलकर देश के किसान अब ‘स्मार्ट कृषि’ की और रुख कर रहे हैं। इससे उन्हें अधिक लाभ कमाने का मौका मिल रहा है। वहीं स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार भी किसानों की खासी मदद कर रही है। केवल इतना ही नहीं पिछले 3-4 साल में, देश में 700 से अधिक कृषि स्टार्टअप तैयार किए गए हैं। वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 21वीं सदी में खेती और खेती से जुड़े ट्रेंड को बिल्कुल बदलने वाली है।
याद हो पीएम मोदी कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से सात रास्ते सुझा चुके हैं। जिसमें उन्होंने ये सात रास्ते सुझाए थे…
पहला- गंगा के दोनों किनारों पर 5 कि.मी. के दायरे में नेचुरल फार्मिंग को मिशन मोड पर कराने का लक्ष्य है।
दूसरा- एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी।
तीसरा- खाद्य तेल का आयात घटाने के उद्देश्य से मिशन ऑयल पाम को सशक्त करने पर जोर दिया गया है।
चौथा- कृषि उत्पादों के परिवहन के लिए पीएम गति-शक्ति योजना के माध्यम से नई रसद व्यवस्था की जाएगी।
पांचवां समाधान बेहतर कृषि-अपशिष्ट प्रबंधन और कचरे से ऊर्जा उत्पादन द्वारा किसानों की आय बढ़ाना है।
छठा- 1.5 लाख से अधिक डाकघर नियमित बैंकिंग जैसी सेवाएं प्रदान करेंगे ताकि किसानों को परेशानी न हो।
सातवां- कौशल विकास तथा मानव संसाधन विकास के संबंध में कृषि अनुसंधान और शिक्षा पाठ्यक्रम को आधुनिक समय की मांगों के अनुरूप बदला जाएगा।
सिर्फ 6 साल में कृषि बजट कई गुना बढ़ा
केंद्र सरकार द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने की दिशा में सिर्फ 6 साल में कृषि बजट कई गुना बढ़ा है, किसानों के लिए कृषि लोन में भी 7 सालों में ढाई गुना की बढ़ोतरी की गई है।
प्राकृतिक खेती को अपनाए जाने पर जोर
आधुनिक होती खेती की दशा और दिशा को लेकर हाल ही में दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय कार्यशाला में पारम्परिक खेती से हटकर नवोन्मेष को अपनाए जाने पर चर्चा हुई। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बदलते पर्यावरण, जलवायु की चुनौतियों और बढ़ते रासायनिक प्रयोग के खतरे के मद्देनजर प्राकृतिक खेती को अपनाए जाने पर जोर दिया।
देश की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर
इस दौरान कृषि मंत्री ने कहा ”देश की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर करती है। इसलिए कृषि मुनाफे में हो, सरलता से की जा सके, उसमें आधुनिकता का समावेश हो, तकनीक का समावेश हो, निवेश के अवसर हो, बाजार की उपलब्धता हो, सरकारों का सकारात्मक योगदान हो और हमारी जो विधा है वह आत्मनिर्भर हो।”
लगभग 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र तक पहुंची प्राकृतिक खेती
मौजूदा केंद्र सरकार के लगातार प्रयास की वजह से देश में प्राकृतिक खेती का दायरा लगातार बढ़ रहा है और अब यह लगभग 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र तक पहुंच चुका है। कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव में प्राकृतिक खेती भी शामिल है। वहीं प्राकृतिक खेती के जरिए सिंचाई के लिए पानी की खपत 50 से 70 फीसदी तक कम हो जाती है।
कृषि को ज्यादा प्रोडक्टिव बनाना जरूरी
गौरतलब हो पीएम मोदी भी यह कह चुके हैं कि कृषि को ज्यादा प्रोडक्टिव बनाना जरूरी है। इसके अलावा कृषि को एफिशिएंट करना भी बहुत जरूरी है। कृषि को रिसोर्स कंजर्विंग न्यूट्रिशन सेंटर्ड बनाना जरूरी है। इसके अलावा प्राकृतिक खेती की एक नई क्रांति लाना भी बहुत जरूरी है।
निजी क्षेत्र ने किसानों के लिए उपलब्ध कराए व्यापक बाजार
केंद्र सरकार ने बीज से लेकर बाजार तक फैली कई नई प्रणालियों और कृषि क्षेत्र में पुरानी प्रणालियों में सुधार किया है। बीते 7 साल का रिकॉर्ड यही दर्शाता है कि भारत सरकार ने बीज से बाजार तक अनेक नई व्यवस्थाएं तैयार की हैं और पुरानी व्यवस्थाओं में सुधार किया है।
फसल बीमा और किसान सम्मान जैसी योजना
पीएम किसान सम्मान निधि योजना आज देश के छोटे किसानों के लिए बहुत बड़ी मददगार साबित हुई है। इसके तहत देश के करीब 11 करोड़ किसानों को लगभग पौने 2 लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। इससे भी किसानों को काफी मजबूती मिली है। वहीं किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) भी दिए गए और पशुपालन तथा मत्स्य पालन में लगे किसानों को केसीसी की सुविधा प्रदान की गई है। केवल इतना ही नहीं छोटे किसानों के बड़े लाभ के लिए सूक्ष्म सिंचाई नेटवर्क को भी मजबूत किया गया है। इसके अलावा किसानों को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से कई अभियान भी चलाए गए हैं।
‘’किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी’’
वर्तमान में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 25 से 30 अप्रैल 2022 तक किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी’’ अभियान का आयोजन कर रहा है। इस अभियान के जरिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग अन्य विभागों के सहयोग से किसानों के लिए क्षेत्रीय स्तर पर राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम कर रहा है। इस दौरान किसानों के लिए अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। वहीं कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग सभी कृषि विज्ञान केंद्रों पर कृषि मेला और प्राकृतिक खेती पर प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। इस प्रकार केंद्र सरकार के प्रयासों से भारत कृषि क्षेत्र में मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है।