हेमन्दु कमल की रिपोर्ट
अब आप अगले महीने के अंत से इस ब्रिज के बुर्ज पर जाकर दिल्ली का दीदार कर सकेंगे। कल जब मैं इस ब्रिज पर पहुँचा तो कुछ नई जानकारी मिली।सिग्नेचर ब्रिज के ऊपर बनाए जा रहे 3 मंजिला ग्लास हाउस का निर्माण कार्य 25 सितम्बर तक पूरा कर लिया जाएगा।
165 मीटर की ऊंचाई पर बनाए जा रहे ग्लास हाउस
इस तरह सितम्बर के आखिरी सप्ताह में आपको सिग्नेचर ब्रिज की 165 मीटर की ऊंचाई पर बनाए जा रहे ग्लास हाउस से दिल्ली का दीदार करने का सौभाग्य प्राप्त हो सकेगा। यहां तक पहुंचने के लिए लिफ्ट लगाने का काम अंतिम चरण में है।
बताया गया कि व्यूअर गैलरी को 29 सितंबर से शुरू किए जाने हैं। परन्तु ये आम लोगों के पहुँच से बहुत दूर होगी क्योंकि टिकट का दाम प्रति व्यक्ति 600 रुपए तक हो सकता है। व्यूअर गैलरी के चालू होते ही सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण कार्य का प्रथम चरण पूरा हो जाएगा।
सिग्नेचर ब्रिज के दूसरे चरण में रिवर फ्रंट का सौंदर्यीकरण , यमुना के दोनों किनारों पर जैव विविधता पार्क , एम्फी थिएटर व मार्केट सहित अन्य विकास कार्य किए जाने का कार्यक्रम है। व्यूअर गैलरी से दिल्ली दर्शन करने आने वालों के लिए शौचालय, पार्किंग सहित अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराये जायेंगें।
कुतुबमीनार से दोगुनी ऊंचाई पर आकर दिल्ली व यमुना को देखने का मिलेगा मौका
पिछले साल इस पुल के उद्घाटन के बाद के मेरे लेख मेरी पिछले दिन की यात्रा दिल्ली में नवनिर्मित हस्ताक्षर पुल ( Signature Bridge ) की ।
आईये बतायें आपको कि क्या विशेषता है इस पुल की ।
हिंदुस्तान का पहला सिंगल पाईलन ब्रिज बनने का गौरव प्राप्त है इसे ब्रिज की ऊंचाई है 154 मीटर। ऊपर धनुष के आकार का स्टील से बनाया गया है, टावर। टावर के साथ यमुना पर बने पुल के लिए 250 मीटर लंबा स्पैन 8 लेन का है, जिसे पूरा करने के लिए विशेष प्रकार की वेल्डिंग की आवश्यकता पड़ी थी ।
दिल्ली से गाजियाबाद के बीच भी आना जाना होगा आसान
सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि ब्रिज ट्रांस यमुना क्षेत्र को बाहरी व उत्तरी दिल्ली से जोड़ दिया है। मुख्य ब्रिज 675 मीटर लंबा है जिसे मुख्य ब्रिज वजीराबाद बैराज के सामने 2 वड़े पिलरों पर खड़ा किया गया जो 675 मीटर लंबा है। इस ब्रिज के चालू होने से अब लोगों का कम से कम 30 मिनट बच रहा है। इससे दिल्ली से गाजियाबाद के बीच भी आना जाना आसान हो गया है।
तारों की सहायता से बना है पूरा ब्रिज
खजूरी खास, तिमारपुर, नेहरू विहार, बुराड़ी और वजीराबाद के इलाकों से आने वालों को सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है। टावर को बांधने के लिए दो बड़े फाउंडेशन वेल बनाए गए जो टावर का सारा भार संभाल रहा है। वेल एक-एक हजार टन के लोहे और कंकरीट भरकर बनाए गए हैं। टावर की केबलों को फाउंडेशन वेल में बांधा गया है। पूरे ब्रिज को केबल के तारों की सहायता से तैयार किया गया है ।
पुल का बैलेंस 18 मोटी केबलों से साधा गया है जिसके नीचे कोई पिलर नहीं और दूसरी ओर मात्र चार केबलेें ही है। अद्भुत है ये पूरा ब्रिज स्टील के बने तारों से झूलता हुआ है जो पूरी तरह से भूकंपरोधी है। इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
सिग्नेचर ब्रिज के 154 मीटर ऊंचे टावर के शीर्ष पर 4 फ्लोर में ग्लास बॉक्स बनाया जा रहा है जो अगले महीने तक बन जायेगा। लोग लिफ्ट के जरिए ग्लास बॉक्स में आकर दिल्ली का नजारा देख सकेंगे। लिफ्ट भी अगले वर्ष मार्च तक लगा दी जाएगी। पता चला कि पर्यटन की दृष्टि से ब्रिज के आसपास पार्किंग तथा रेस्टोरेंट की भी सुविधा दी जाएगी।
ब्रिज पर लोगों को धनुष के आकार का स्टील से बनाए गए पाइलन टावर के शीर्ष पर जाने की अनुमति होगी। इससे लोगों को कुतुबमीनार से दोगुनी ऊंचाई पर आकर दिल्ली व यमुना को देखने का मौका मिलेगा। टावर के ऊपर से पूरी दिल्ली का अद्भुत नजारा देखने को मिल पायेगा ।