पटना: एक ओर जहां बिहार सरकार के सभी विभागों में एक तिहाई कर्मी ही कार्यालय आ रहे हैं, तो दूसरी ओर श्रम संसाधन विभाग ने अपने सभी कर्मियों को ऑफिस आना अनिवार्य कर दिया है. विभाग का तर्क है कि स्वीकृत पदों की तुलना में आधे ही पद पर कर्मी कार्यरत है. इसलिए सभी कर्मी ऑफिस हर हाल में आएं. यह स्थिति तब है जब विभाग के मंत्री विजय कुमार सिन्हा सहित दर्जनभर कर्मी व अधिकारी अब तक कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. श्रम संसाधन विभाग अंतर्गत निदेशालय नियोजन एवं प्रशिक्षण चतुर्थ तल ए ब्लॉक में सचिवालय सहायक प्रवीण कुमार दिनांक 11/08/2020 को कोरोना पॉजिटिव पाए गए. उनके साथ संपर्क में आए अन्य कर्मियों की जांच के लिए विभाग कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किया है. साथ ही उक्त कार्यालय को ना ही सील किया गया है और ना ही सैनिटाइजेशन कराया गया है.
श्रम विभाग ने पहले राज्य सरकार के आदेशों का हवाला देते हुए एक तिहाई कर्मी को ही ऑफिस आना अनिवार्य किया था, लेकिन अब विभाग ने अपने उस आदेश को पलट कर दूसरा आदेश जारी किया कि सभी कर्मी अनिवार्य रूप से ऑफिस आए. पत्र में इसका उल्लेख है कि चूंकि विभाग में स्वीकृत पदों की तुलना में आधे ही कर्मचारी कार्यरत हैं इसलिए सभी कर्मचारी का ऑफिस आना अनिवार्य है.जिसके कारण दिनांक 14/08/2020 को उसी कार्यालय के नवनियुक्त निम्न वर्गीय लिपिक शुभम कुमार कोरोना पॉजिटिव पाए गए. फिर भी उक्त विभाग के पदाधिकारी द्वारा कार्यालय को सील कर सैनिटाइज कराने की जहमत नहीं की गई.
ऐसा लगता है कि यहां के पदाधिकारी जानबूझकर सभी कर्मी को इस वैश्विक महामारी कोरोना के गाल में धकेलना चाहती है. इसके कारण सभी कर्मी के बीच भय का वातावरण बना हुआ है.कर्मचारी संघ ने मांग की है कोरोना काल में पूर्व की तरह रोटेशन में कर्मचारियों को बुलाया जाए, वरना हालात ऐसे होंगे कि विभाग में संक्रमित की संख्या और बढ़ेगी और कार्यालय में सोशल डिस्टेंसिंग के तहत काम करना भी मुश्किल होगा.