शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। वहीं, यूपीए काे एनजीओ करार देते हुए शिवसेना ने इसका नेतृत्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार को सौंपने की वकालत की है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का अध्यक्ष बनाने की चर्चा एक पखवाड़े में दूसरी बार छेड़ी गई है। पवार के 80वें जन्मदिवस से ठीक पहले भी यह चर्चा उठी थी। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में शनिवार को जहां कांग्रेसी नेतृत्व वाले संप्रग की कमियां गिनाई गई, वहीं पवार की तारीफ में कशीदे काढ़े गए हैं। संपादकीय कहता है कि कांग्रेस के नेतृत्व में एक ‘यूपीए’ नामक राजनीतिक संगठन है। उस ‘यूपीए’ की हालत किसी ‘एनजीओ जैसी दिख रही है।
शिवसेना ने कांग्रेस से सवाल किया है कि भाजपानीत एनडीए में नरेंद्र मोदी है, अमित शाह है। यूपीए के पास क्या है? शिवसेना ने कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते हुए शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा कि विरोधी दल के लिए एक सर्वमान्य नेता की आवश्यकता होती है, लेकिन इस मामले में देश का विपक्ष पूरी तरह से दिवालिएपन के हाशिए पर खड़ा है।
बता दें, महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार का गठन किया है। वहीं, वर्तमान में यूपीए की कमान कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथों में हैं।
शिवसेना पवार को संप्रग अध्यक्ष के रूप में देखना चाहती है, क्योंकि महाराष्ट्र में उद्धव को पूरे पांच वर्ष मुख्यमंत्री पद देने का वायदा पवार के ही दिमाग की उपज है। शिवसेना को यह लगता है कि यदि संप्रग अध्यक्ष शरद पवार हुए, तो महाराष्ट्र के किसी भी चुनाव में महाविकास अघाड़ी गठबंधन कायम रखते हुए भाजपा को आसानी से पछाड़ा जा सकता है। इसीलिए सामना पवार को यह जिम्मेदारी देने की परोक्ष वकालत करते हुए कहता है कि विरोधी दलों की हालत उजड़े हुए गांव की ‘जमींदारी’ संभालने वाले की तरह हो गई है। यह जमींदारी कोई गंभीरता से नहीं लेता।