कॉमन सर्विस सेंटर का उद्देश्य ग्रामीण भारत में तेजी से सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाने के साथ-साथ उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है. वीएलई रंजीत कुमार हरित्र जो बिहार के शेखपुरा जिले के अबगिल गांव में सीएससी चलाते हैं, इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है. 38 साल के रंजीत कुमार हरित्र जिन्होंने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है, 2016 में बिहार के सुदूर गांव से सीएससी शुरू किया. उनके पिता किसान है और सीएससी में शामिल होने से पहले, रंजीत बेरोजगार थे. अपने सक्रिय प्रयासों के साथ कम समय के भीतर उन्होंने सीएससी के सुचारू संचालन को सुनिश्चित किया है. वीएलई कहते हैं- “सीएससी ने मुझे स्थाई आजीविका के लिए मंच दिया है. सीएससी से उचित लागत और कम समय पर अपने दरवाजे से दिए सेवा प्राप्त करने के बाद गरीब लोगों की संतुष्टि को देखना मन में संतोष का भाव पैदा करता है.”
भारत के सुदूर और ग्रामीण हिस्से में रहने वाले लोगों तक अभी भी बुनियादी बैंकिंग सेवाओं का अभाव है. जैसे ही उन्हें डीजी पे के बारे में पता चला, उन्होंने तुरंत अपने स्मार्टफोन में एप्लीकेशन इनस्टॉल किया और आधार आधारित इस सर्विस को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सक्रिय हो गए.
42 साल की बिमला देवी एससी समुदाय से है और बिहार के शेखपुरा जिला के अबगिल गांव में रहती है. इस गांव में लोगों को खेतों में जब कोई काम नहीं मिलता है, तब वे मनरेगा में मजदूरी करते हैं. बिमला बताती है कि वह कार्यस्थल पर काम तो पूरा करती है, मगर मजदूरी लेने के लिए उन्हें शेखपुरा स्थित बैंक जाना पड़ता था. इसके लिए उनको एक दिन कि अपनी दिहाड़ी का नुकसान उठाना पड़ता था. इस असुविधा की वजह से मनरेगा में कार्य करने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जब बिमला देवी को अपने ही गांव में स्थित सीएससी के बारे में पता चला, उन्होंने डीजी पे के माध्यम से अपनी मजदूरी की राशि प्राप्त की.
अब राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के मजदूर सीएससी पर जाकर अपना भुगतान प्राप्त कर लेते हैं. बिहार के शेखपुरा में इस समय तक़रीबन 800 मजदूर रंजीत कुमार के सीएससी जाकर अपना भुगतान लेते हैं. अब उन्हें 1 दिन के काम का नुकसान उठा कर शहर नहीं जाना पड़ता.
रंजीत के सीएससी केंद्र ने बैंक शाखा की आवश्यकता को कम कर दिया क्योंकि अब गांव के लोग डीजी पे के माध्यम से अपनी सेवाएं बहुत आसानी से प्राप्त कर रहे हैं.
रंजीत के सीएससी के माध्यम से 65 साल के रामखेलावन को उनकी वृद्धावस्था पेंशन मिलती है. वो स्वीकार करते हैं कि गांव में सीएससी के कारण समय और पैसा दोनों बच जाता है. पहले उन्हें बैंक के माध्यम से अपनी पेंशन प्राप्त करने के लिए 20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. वीएलई रंजीत अब बुजुर्ग और जरूरतमंद लोगों के घर-घर जाकर डीजी पे के माध्यम से पेंशन वितरित करता है. वह अन्य युवाओं को अपने जीवन में उद्यमशीलता अपनाने और सफल होने के लिए प्रेरणा दे रहा है. डीजी पे के अलावा वीएलई आयुष्मान भारत, किसान पंजीकरण, बीमा, पीएमजीदिशा सेवाएं प्रदान कर रहा है.
प्रतिदिन 70 से 80 ग्रामीण उनके केंद्र पर आकर सीएससी सेवा से लाभान्वित होते हैं.
वीएलई रंजीत कहते हैं, “मुझे वास्तव में ऐसा महसूस हुआ कि गांव के लोगों की मदद करने के लिए कुछ करू, लेकिन साथ ही, मुझे अपनी आजीविका के लिए भी कमाने की जरूरत है. सीएससी ने मेरे लिए एक ही समय में सेवा करने और कमाई करने का एक नया तरीका खोला.” शेखापुर के ग्रामीण सीएससी सेवाओं से बहुत खुश हैं क्योंकि वे अपने दरवाजे पर विभिन्न सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं, वीएलई रंजीत अब इसके माध्यम से अपने जीवन स्तर को उठाने में सक्षम है.