एक जून से गोल्ड हॉलमार्किंग का दूसरा चरण होगा शुरू, जानें ग्राहकों को क्या होगा फायदा

देश में सोने की शुद्धता के लिए अनिवार्य हॉलमार्किंग के दायरे को और बढ़ाया जा रहा है। इसे लेकर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। जिसके मुताबिक स्वर्ण आभूषणों और कलाकृतियों की अनिवार्य हॉलमार्किंग का दूसरा चरण इस साल एक जून से शुरू होगा। इसके साथ ही सरकार ने हॉलमार्क अनिवार्यता के तहत तीन और कैरेट को शामिल किया है।

जानते हैं क्या है हॉलमार्क, आम लोगों को क्या होगा फायदा और पहला और दूसरा चरण क्या है…

क्या है हॉलमार्क

BIS (Bureau of Indian Standards ) यानि भारतीय मानक ब्यूरो, जो भारत में राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था है। यह उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन आती है। BIS का हॉलमार्क सोने-चांदी की शुद्धता को प्रमाणित करने का माध्यम है। जिन गहनों पर यह निशान या चिन्ह बना होता है, वह प्रमाणित होता है इस बात के लिए कि आभूषण भारतीय मानक ब्यूरो के स्टैंडर्ड पर खरा उतरेगा। इसलिए आप जब कभी सोना या चांदी खरीदते हैं, तो इस बात का ध्यान जरूर दें कि गहने पर हॉलमार्क का निशान जरूर हो। हॉलमार्क में एक- तिकोना निशान आभूषण की शुद्धता, निर्माण वर्ष और उत्पादक का लोगो भी होता है।

पहला चरण

देशभर में पहले चरण के तहत, जून 2021 से देश के 256 जिलों में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा अनिवार्य हॉलमार्किंग का कार्यान्वयन सफल रहा है। इन जिलों में हर दिन हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन (एचयूआईडी) के साथ 3 लाख से ज्यादा स्वर्ण आभूषणों पर हॉलमार्क लगाया जा रहा है। वहीं दूसरे चरण के तहत 32 नए जिलों को शामिल किया जाएगा। बता दें कि सरकार ने सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का निर्णय लिया है।

दूसरा चरण

मंत्रालय के मुताबिक सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग के दूसरे चरण के दायरे में स्वर्ण आभूषणों के तीन अतिरिक्त 20, 23 और 24 कैरेट भी आएंगे। पहले चरण में हॉलमार्क की व्यवस्था लागू होने पर 22, 18 और 14 कैरेट के गहने पर हॉलमार्क अनिवार्य थे। अब इन सभी गहनों पर हॉलमार्क के लिए तय किए गए निशान दिखाई देंगे। इन निशानों में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) का लोगो, सोने की शुद्धता बताने वाला कोड नंबर, हॉलमार्किंग सेंटर का लोगो, हॉलमार्किंग का साल (वर्ष) और ज्वेलरी का आइडेंटिफिकेशन नंबर शामिल होंगे। इन निशानों को मैग्नीफाइंग ग्लास से आसानी से देखा जा सकेगा।

उपभोक्ता को क्या होगा लाभ

देश की अधिकांश जनता अपनी गाढ़ी जमा पूंजी से सोने के गहने या कोई कलाकृति खरीदती है। ऐसे में उन्हें किसी तरह की ठगी का शिकार न होना पड़े, इसलिए केंद्र सरकार ने ये कदम उठाया है। अब सभी ज्वैलर्स यानि गहने बेचने वालों को किसी भी तरह के सोने के आभूषण पर हॉलमार्क का निशान रखना अनिवार्य है। जिससे की आगे चलकर उपभोक्ता को किसी तरह का घाटा न हो और सोने की शुद्धता की जानकारी उसे भी हो।

सोने की शुद्धता की खुद करा सकते हैं जांच

हॉलमार्क के बावजूद अगर कोई ग्राहक सोने की शुद्धता से असंतुष्ट है, तो वह हॉलमार्किंग सेंटर में इसकी खुद से जांच भी करा सकता है। ग्राहक की चुनौती सही पाए जाने पर ज्वैलर के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने और ग्राहक को मुआवजा देने का प्रावधान भी किया गया है। इसके लिए देशभर के शहरों में  हॉलमार्किंग सेंटर भी खोले जा रहे हैं। इसके अलावा भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने अब एक आम उपभोक्ता को बीआईएस से मान्यता प्राप्त किसी भी परख और हॉलमार्किंग सेंटरों (एएचसी) में से किसी भी एक केंद्र में अपने बिना पहचान वाले सोने के आभूषणों की शुद्धता की जांच कराने की अनुमति देने का प्रावधान किया है।

एएचसी प्राथमिकता के आधार पर आम उपभोक्ताओं के स्वर्ण आभूषणों का परीक्षण करेगा और उपभोक्ता को एक जांच रिपोर्ट प्रदान करेगा। उपभोक्ता को जारी की गई यह रिपोर्ट उपभोक्ता को उनके आभूषणों की शुद्धता के बारे में आश्वस्त करेगी और यदि उपभोक्ता अपने पास पड़े आभूषणों को बेचना चाहता है, तो यह भी उपयोगी साबित होगी। इसके लिए कीमत भी तय कर दी गई है।

जांच की फीस निर्धारित

सोने के आभूषणों में 4 वस्तुओं तक की जांच 200 रुपये तक, 5 या इससे अधिक वस्तुओं के लिए लागत 45 रुपये प्रति आभूषण है। उपभोक्ता के सोने के आभूषणों के परीक्षण पर विस्तृत दिशा-निर्देश और मान्यता प्राप्त परख एवं हॉलमार्किंग सेंटरों की सूची बीआईएस वेबसाइट www.bis.gov.in के माध्यम से देखी जा सकती है।

उपभोक्ता द्वारा खरीदे गए एचयूआईडी नंबर वाले हॉलमार्क वाले सोने के आभूषणों की प्रामाणिकता और शुद्धता को बीआईएस केयर ऐप में ‘वेरीफाई एचयूआईडी’ का उपयोग करके भी सत्यापित किया जा सकता है, जिसे प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।

ग्राहकों को पुराने गहनों को बेचने में नहीं होगी समस्या

गोल्ड हॉलमार्किंग के अनिवार्य होने के बावजूद लोगों को अपने पुराने गहनों को सुनारों के पास बेचने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी, क्योंकि हॉलमार्किंग की बाध्यता सिर्फ ज्वेलर्स के लिए है। आम आदमी अगर ज्वेलर्स को अपना गहना बेचना चाहे, तो उसके लिए ये बाध्यता नहीं होगी। हालांकि आम आदमी भी यदि चाहे तो अपने ज्वेलर के जरिए अपने गहनों की हॉलमार्किंग करवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें एक निश्चित शुल्क अदा करना पड़ेगा

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