कमल की कलम से
दिल्ली के शिव मंदिरों में एक और महत्वपूर्ण मन्दिर पारदेश्वर धाम की सैर.
पारदेश्वर धाम मंदिर बाहरी दिल्ली क्षेत्र के केशवपुरम सी-3 में स्थित है.
इस मंदिर की विशेषता इसमें 151 किलो पारे का शिवलिंग का होना है जिसे वर्ष1998 में यहां पर स्थापित किया गया था.
यह उस समय विश्व का पहला पारे का शिवलिंग था.
इसे जगदगुरू शंकराचार्य एवं विशिष्ट वैद्याचार्यो तथा वैदिक विधानों द्वारा शिवलिंग स्थापित किया गया था. इसमें न तो कोई धातु का प्रयोग किया गया और न ही किसी साचें व ढ़ाचें में ढाला गया था.
बताया जाता है कि यह शिवलिंग 16 शंकराचार्य ओंकेश्वर धाम पीठाधीश्वर अखिलेश्वरानंद अंगद जी महाराज के देखरेख में जबलपुर के वैद्य सुनील कुमार ने बनाया था.
मंदिर के मुख्य पुजारी पं.रामशिवलोचन जी ने बताया कि इस शिवलिंग को आयुर्वेदिक पद्धति एवं वैदिक मंत्रों के प्रयोग से ठोस अवस्था में परिवर्तित किया गया.
खास बात यह है कि शास्त्रों में पारदेश्वर शिवलिंग की विशिष्ट महिमा वर्णित है.
अब अगर इस मंदिर के इतिहास के बारे में बतायें तो इसका कोई इतिहास नहीं मिलता है. इसको लेकर केवल मान्यता ही प्रचलित है. सिर्फ इतना कहा जाता है कि 50 साल पहले मंदिर के पास ही एक पार्क था. जिसमें काफी समय पहले से देवी-देवता की मूर्तियों के साथ शिवलिंग भी था. बाद में मंदिर बनने के बाद सभी को यहां स्थापित किया गया. शिवलिंग के प्रति बढते आस्था को देखते हुए पारे का शिवलिंग यहां स्थापित किया गया था. पारदेश्वर शिवलिंग का रूद्राभिषेक प्रतिदिन होता है.
ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग के दर्शन एंव पूजन से कई करोड़ यज्ञ का फल प्राप्त होता है. पुजारी लक्ष्मण झा ने बताया कि यहां श्रावण मास में दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु जल लेकर नतमस्तक होते हैं. यहां कई धार्मिक तथा समाजिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं. लोग बताते हैं कि इस दरबार में माथा टेकने के बाद कोई खाली हाथ नहीं जाता.
शिवलिंग का अद्भुत दृश्य मानों स्वयं ही प्रकृति का छटा बिखेरता नजर आता है और बड़ा ही नयनाभिरामी है.
कैसे पहुंचे :-
पारदेश्वर धाम तक सड़क व मेट्रो के जरिये पहुंचा जा सकता है.
केशवपुरम मेट्रो स्टेशन से सी-3 करीब 400 मीटर की दूरी पर है.
बस स्टैंड है c3 जो ठीक मन्दिर के पास ही है.
610 नम्बर की बस यहाँ से गुजरती है.
अपनी सवारी से जाने वालों के लिए पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं रहने के बावजूद पार्किंग की समस्या नहीं है.