संकटकालीन स्थिति में (कोरोना की पृष्ठभूमि पर) धर्मशास्त्रानुसार श्रावण सोमवार मनाने की पद्धति !

वर्तमान कोरोना संकट की पृष्ठभूमि पर देशभर में यातायात बंदी (लॉकडाऊन) है। किसी-किसी स्थान पर कोरोना का प्रादुर्भाव अल्प है, किंतु तब भी लोगों के घर से बाहर निकलने पर अनेक बंधन लगाए गए हैं। इस कारण हिन्दुओं के विविध त्यौहार, उत्सव, व्रत सामूहिक रूप से मनाए जाने पर बंधन है। कोरोना समान संकटकाल की पार्श्‍वभूमि पर हिन्दू धर्म ने धर्माचरण के शास्त्र में संकटकाल के लिए भी कुछ विकल्प बताए हैं, जिसे ‘आपद्धर्म’ कहा जाता है। आपद्धर्म का अर्थ है ‘आपदि कर्तव्यो धर्मः।’ अर्थात आपदा के समय आचरण करना आवश्यक धर्म !

20 जुलाई, 27 जुलाई, तथा 3 अगस्त को श्रावणी सोमवार व्रत के निमित्त से ….
इसी माह में श्रावण अर्थात सावन महिना होने से संपत्काल में बताई गई पद्धति के अनुसार इस वर्ष हम सार्वजनिक रूप से विविध व्रत उत्सव सदैव की भांति नहीं मना सकेंगे ।  इस दृष्टि से प्रस्तुत लेख में वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य से धर्माचरण के रूप में ‘श्रावणी सोमवार’ व्रत कैसे करना है, इसका विचार किया गया है ।  यहां महत्त्वपूर्ण सूत्र यह है कि इससे हिन्दू धर्म ने कितने उच्च स्तर तक जाकर मनुष्य का विचार किया है, यह सीखने को मिलता है । इससे हिन्दू धर्म की एकमेव अद्वितीयता ध्यान में आती है ।
श्रावणी सोमवार में श्रद्धालु शिवजी के मंदिर में जाकर शिवपिंडी का जलाभिषेक करते हैं । ‘लॉकडाऊन’ के कारण जिन्हें घर के बाहर जाकर शिवालय में जाना संभव नहीं है ।  वे ‘आपद्धर्म’ के रूप में घर में रहकर यह व्रत किस प्रकार से करें, इस विषय में इस लेख में धर्मशास्त्राधारित वर्णन किया गया है ।
1.श्रावण सोमवारी उपवास कर शिवजी की विधिवत् पूजा करना
‘उपोषितः शुचिर्भूत्वा सोमवारे जितेन्द्रियः।
वैदिकैर्लौकिकैर्मन्त्रैर्विधिवत्पूजयेच्छिवम् ॥’
– स्कन्दपुराण, ब्रह्मखण्ड, अध्याय 8, श्‍लोक 10
अर्थ : संयम तथा शुचिर्भूतता आदि नियमों का पालन करते हुए सोमवारी उपवास कर वैदिक अथवा लौकिक मंत्र से शिवजी की विधिवत् पूजा करें ।
शास्त्रकारों ने मन पर संयम रख, शुचिर्भूतता नियम पालन के विषय में, तथा उपवास करने के विषय में बताया है । उसके अनुसार हम अपने ज्ञान के आधार पर जो संभव हो, उन वैदिक अथवा लौकिक मंत्रों के द्वारा शिवजी की पूजा कर सकते हैं ।
2. शिवजी की पूजा कैसे करें ?
अ. अपने घर में स्थित शिवलिंग की पूजा करें।
आ. यदि शिवलिंग उपलब्ध न हो, तो शिवजी के चित्र की पूजा करें।
इ. शिवजी का चित्र भी उपलब्ध न हो, तो पीढे पर शिवलिंग की किंवा शिवजी का चित्र बनाकर उसकी पूजा करें।
ई. ऊपर बताए अनुसार कुछ भी संभव न हो, तो शिवजी के नाम का जप ‘ॐ नमः शिवाय ।’ यह नाममंत्र लिखकर हम पूजा कर सकते हैं।’ 
सौजन्य :सनातन संस्था

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