संघर्ष से सितारे बने एक्टर अमित कश्यप

पटना,
कहा गया है “मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत” और इसी कड़ी में अपने लक्ष्य के प्रति सचेष्ट हो उसे पूरा करने वालों में बिहार के बेगूसराय के छोटे से गाँव मंसूरचक से जुड़े फ़िल्म अभिनेता अमित कश्यप का भी नाम जुड़ गया है।महज दो दशक पूर्व मंसूरचक के समसा चौक पर ढ़ोल ताशा पार्टी में गाना गाकर अपने सांस्कृतिक कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता अनित कश्यप को महानायक अमिताभ बच्चन के साथ भी अभिनय करने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है।मंसूरचक से मुंबई तक के इन दो दशकों के सफर में अपने दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर डेढ़ दर्जन हिंदी, भोजपुरी एवम मैथिली फिल्मों में भी मुख्य भूमिका निभा कर देशस्तर पर बिहार को गौरवांवित किया।भारतीय सिनेमा उद्योग को गाँव की गलियों में उतारने का संकल्प संजोए अभिनेता अमित कश्यप ने बिहार की प्रसिद्ध लोक कथा रेशमा-चौहरमल पर बनी हिंदी फीचर फिल्म “चौहर” में मुख्य भूमिका निभाकर देशस्तर तक में सुर्खियां बटोरी।इसके अलावे हिंदी में अनिल पतंग निर्मित व रघुवीर सिंह निर्देशित जट-जटिन, सुपरहिट फिल्म मांझी द माउंटेन मेन फेम राइटर वरदराज स्वामी निर्देशित गुलमोहर, रामगोपाल वर्मा की वास्तुशास्त्र, कुट्टी घोष की चौकी, भोजपुरी में अरुण सिंह निर्मित व विनोद कुमार निर्देशित टूटे न सनेहिया के डोर, आशुतोष प्रभाकर की तीज, ज्योति एन. सिंह की सईयां ई रिक्शावाला, अजय मिश्रा की मनवा के मीत, एवम बिष्णु पाठक-रजनीकांत पाठक निर्मित व मनोज श्रीपति निर्देशित बहुचर्चित मैथिली फ़िल्म लव यू दुल्हिन में भी प्रमुख भूमिका निभाई है।हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान से अभिनय में डिप्लोमा प्राप्त अभिनेता अमित कश्यप पिछले एक दशक से बिहार सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन एवम राष्ट्रकवि दिनकर फिल्मसिटी की स्थापना कर बिहार में सिनेमा इंडस्ट्री के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील हैं और इस कड़ी में मुंबई से दर्जनों धारावाहिकों, वेव सीरीज एवम फीचर फिल्मों की यूनिट को यहाँ बुलाकर बिहार के अलग अलग जिलों में शूटिंग करवा चुके हैं।इनके द्वारा स्थापित बिहार की पहली फिल्मसिटी का मुख्यालय बेगूसराय ज़िले में ही है।

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