संघ की दशहरा पूजा: भारत की प्रतिक्रिया ने चीन को परेशान कर दिया- मोहन भागवत

आज देश भर में विजयादशमी मनाई जा रही है। विजयादशमी को ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्थापना दिवस भी होता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  के प्रमुख मोहन भागवत सहित संघ के अन्य नेताओं ने आज नागपुर स्थित मुख्यालय के महर्षि व्यास सभागार में वार्षिक दशहरा समारोह में भाग लिया। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की। इसके बाद मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। अपने संबोधन में मोहन भागवत ने राम मंदिर, नागरिकता संशोधन काूनन, कोरोना संकट, चीन के साथ विवाद, नई शिक्षा नीति, नए कृषि कानून, पारिवारिक चर्चा के महत्व और स्वदेशी नीति के तहत ‘वोकल फॉर लोकल’ के मुद्दे पर खुल कर अपनी बात रखी।

इस मौके पर संघ प्रमुख ने कहा, ‘हमारी सेना की अटूट देशभक्ति व अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन को पहली बार मिला है।’ मोहन भागवत ने कहा, ‘पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे चीन भारत के क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है। चीन के विस्तारवादी व्यवहार से हर कोई वाकिफ है। चीन कई देशों-ताइवान, वियतनाम, यू.एस., जापान और भारत के साथ लड़ रहा है। लेकिन भारत की प्रतिक्रिया ने चीन को परेशान कर दिया है।’

युवाओं का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि अगर हम चाहते हैं कि युवा पीढ़ी हमारी बातों को सुने, उस पर अमल करे तो हमें उनके साथ चर्चा करनी पड़ेगी। अगर हम उनसे चर्चा किए बिना कुछ करते हैं तो जबतक उनकी मजबूरी रहेगी तबतक ही वे बात पर अमल करेंगे। लेकिन अगर हम चर्चा करेंगे तो वे दिल से उसे स्वीकार करेंगे। सप्ताह में एक बार हम अपने कुटुम्ब में सब लोग मिलकर श्रद्धानुसार भजन व इच्छानुसार आनन्दपूर्वक घर में बनाया भोजन करने के पश्चात्, 2-3 घण्टों की गपशप के लिए बैठ जाएं और पूरे परिवार में आचरण का संकल्प लेकर, उसको परिवार के सभी सदस्यों के आचरण में लागू करने करें।

विजयादशमी पर अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा, ‘अर्थ, कृषि, श्रम, उद्योग तथा शिक्षा नीति में स्व को लाने की इच्छा रख कर कुछ आशा जगाने वाले कदम अवश्य उठाए गए हैं। व्यापक संवाद के आधार पर एक नई शिक्षा नीति घोषित हुई है। उसका संपूर्ण शिक्षा जगत से स्वागत हुआ है, हमने भी उसका स्वागत किया है। ‘वोकल फॉर लोकल’ यह स्वदेशी संभावनाओं वाला उत्तम प्रारंभ है। परन्तु इन सबका यशस्वी क्रियान्वयन पूर्ण होने तक बारीकी से ध्यान देना पड़ेगा। इसीलिये स्व या आत्मतत्त्व का विचार इस व्यापक परिप्रेक्ष्य में सबने आत्मसात करनाहोगा,तभी उचित दिशामें चलकर यह यात्रा यशस्वी होगी।

देश की एकात्मता के व सुरक्षा के हित में ‘हिन्दू’ शब्द को आग्रहपूर्वक अपनाकर, उसके स्थानीय तथा वैश्विक, सभी अर्थों को कल्पना में समेटकर संघ चलता है। संघ जब ‘हिन्दुस्थान हिन्दू राष्ट्र है’ इस बात का उच्चारण करता है तो उसके पीछे कोई राजनीतिक अथवा सत्ता केंद्रित संकल्पना नहीं होती। हिन्दू शब्द को परिभाषित करते हुए मोहन भागवत ने कहा- समस्त राष्ट्र जीवन के सामाजिक, सांस्कृतिक, इसलिए उसके समस्त क्रियाकलापों को दिग्दर्शित करने वाले मूल्यों का व उनकी व्यक्तिगत, पारिवारिक, व्यवसायिक और सामाजिक जीवन में अभिव्यक्ति का नाम ‘हिन्दू’ शब्द से निर्दिष्ट होता है। ‘हिन्दू’ किसी पंथ, सम्प्रदाय का नाम नहीं है, किसी एक प्रांत का अपना उपजाया हुआ शब्द नहीं है, किसी एक जाति की बपौती नहीं है, किसी एक भाषा का पुरस्कार करने वाला शब्द नहीं है। वह इन सब विशिष्ट पहचानों को कायम, स्वीकृत व सम्मानित रखते हुए, भारत भक्ति के तथा मनुष्यता की संस्कृति के विशाल प्रांगण में सबको बसाने वाला, सब को जोड़ने वाला शब्द है।

टुकड़े-टुकड़े गैंग का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा- भारत की विविधता के मूल में स्थित शाश्वत एकता को तोड़ने का घृणित प्रयास, हमारे तथाकथित अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को झूठे सपने तथा कपोलकल्पित द्वेष की बातें बता कर चल रहा है।’भारत तेरे टुकड़े होंगे’ ऐसी घोषणाएं देने वाले लोग इस षड्यंत्रकारी मंडली में शामिल हैं। राजनीतिक स्वार्थ, कट्टरपन व अलगाव की भावना, भारत के प्रति शत्रुता तथा जागतिक वर्चस्व की महत्वाकांक्षा, इनका एक अजीब सम्मिश्रण भारत की राष्ट्रीय एकात्मता के विरुद्ध काम कर रहा है।

विश्व के अन्य देशों की तुलना में हमारा भारत संकट की इस परिस्थिति में अधिक अच्छे प्रकार से खड़ा हुआ दिखाई देता है। भारत में इस महामारी की विनाशकता का प्रभाव बाकी देशों से कम दिखाई दे रहा है, इसके कुछ कारण हैं। भारत का शासन, प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड़ कर खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय व वीरता का उज्ज्वल परिचय दिया, इससे चीन को अनपेक्षित धक्का मिला लगता है। इस परिस्थिति में हमें सजग होकर दृढ़ रहना पड़ेगा। इस महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है। श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं, उनके साथ हमें अपने सम्बन्धों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में कोरोना के कारण नुकसान कम हुआ है, क्योंकि सरकार ने जनता को पहले से सतर्क कर दिया था। एहतियाती कदम उठाए गए और नियम बनाए गए। लोगों ने अतिरिक्त सावधानी बरती क्योंकि उनके मन में कोरोना का डर था। सभी ने अपना काम किया।

इस मौके पर उन्होंनो कहा, ‘2019 में, अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी हो गया। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर को लेकर अपना फैसला सुनाया। संपूर्ण देश ने फैसले को स्वीकार कर लिया। पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई। हमने इस दौरान भारतीयों के धैर्य और संवेदनशीलता को देखा है।’

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