बिहार के रोहतास जिला के तिलौथू प्रखंड मैं स्थित मां तुतलेश्वरी भवानी का प्रतिमा अति प्राचीन है. राजा प्रताप धवल द्वारा लिखवाए गए दो शिलालेख वहां आज भी मौजूद है पहले शिलालेख में 19 अप्रैल 1 1158 (1254 सामंत शनिवासरे) का महिषासुर मर्दिनी अष्टभुजी मां दुर्गा की नई प्रतिमा स्थापित कराने का वर्णन है.
दूसरे शिलालेख में राजा की पत्नी सुल्हीऔर भाई त्रिभुवन धवल देव तथा पांच पुत्रियों को साथ पूजा अर्चना करने का जिक्र है. यह मंदिर मनोवांछित फल प्राप्ति को लेकर प्रसिद्ध है शारदीय नवरात्र की नवमी तथा सावन पूर्णिमा को रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड के कई गांव के लोग पहले तिलेश्वरी माता की पूजा अर्चना कर ही कुल देवता का पूजा अर्चना करते हैं.
सावन मास में पूरे माह मेला तथा नवरात्र में 9 दिनों का मेला का आयोजन होता है. मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो यह शुद्ध विचार से जाता है. भ्रमरी देवी भंवरा का प्रकोप झेलना पड़ता है. दर्जनों लोगों के साथिया घटना घटी है. यहां बकरे का बलि देने का रिवाज है.
किव दंती है कि मंदिर प्रांगण में नवरात्र की नवमी तिथि की मध्य रात्रि में परियों द्वारा नृत्य गीत के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. तुलेश्वर भवानी मंदिर के आसपास की प्राकृतिक छटा मनोरम है. महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा तूतराही जलप्रपात के मध्य में स्थित है. पूरे रोहतास कैमूर जिले के इस प्रकार का अद्भुत जलप्रपात नहीं है.
पुरातत्वतेत डॉ श्याम सुंदर तिवारी का मानना है कि इतना अलौकिक प्राकृतिक सुंदर पूरे बिहार में नहीं है. यहां भवानी की मंदिर करीब 60 फीट ऊंचे पहाड़ी के गुफा में स्थित है, और यहां करीब 200 मीटर ऊंचे पहाड़ी से पानी का झरना गिरता है, जहां एक कुंड है सभी श्रद्धालु स्नान कर मातेश्वरी भवानी का पूजन करते हैं.
मां तपेश्वरी भवानी के मंदिर के पास जाने का रास्ता
मातेश्वरी भवानी से निकटतम रेलवे स्टेशन डेहरी ऑन सोन वही निकटतम तिलौथू बाजार है. यह तिलौथू डेहरी रोहतास मुख्य मार्ग पर स्थित है. यहां से करीब 5 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम कैमूर पहाड़ी की घाटी में जाना पड़ता है. इसके लिए ऑटो रिक्शा उपलब्ध है. मंदिर के पास जाने का रास्ता पहाड़ी काटकर बनाई गई है. रोहतास जिला के मुख्यालय सासाराम से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर तूतलेश्वरी भवानी का मंदिर स्थित है.
उपेंद्र कुमार यादव, जिला प्रतिनिधि, रोहतास की रिपोर्ट