अरुणाचल प्रदेश की घटना के बाद विपक्ष की नजर भाजपा-जदयू के रिश्तों पर है। राजद ने बुधवार को दूसरा दांव चल दिया है। राजद के वरिष्ठ नेता श्याम रजक ने दावा किया है कि सत्ता पक्ष के 17 विधायक हमारे संपर्क में हैं। वे यही चाहते हैं कि उन्हें राजद अपना लें। इससे पहले राजद ने नीतीश कुमार को महागठबंधन में आने का न्योता दिया था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा था कि नीतीश अगर तेजस्वी को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बना दें तो विपक्ष उन्हें 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन दे सकती है।
रजक यह भी कहते हैं कि दल-बदल कानून के तहत 17 विधायकों को अभी राजद में नहीं लिया जा सकता। जदयू को तोड़ने के लिए 25-26 विधायक होने चाहिए। तब दल-बदल कानून उन पर लागू नहीं होगा। अभी राजद इंतजार कर रहा है कि कुछ और विधायक संपर्क में आएं और जदयू को राजद तोड़ ले। हम उन्हीं विधायकों को लेंगे, जो समाजवाद के समर्थक और लालू यादव की विचारधारा पर चलने वाले हों।
‘राजद के नेता सिर्फ बयानबाजी कर रहे-
रजक के बयान के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारे में कानाफूसी शुरू हो गई है। जदयू की तरफ से प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने मोर्चा संभाला। वे कहते हैं कि श्याम रजक अपने बयानों से लोगों को भरमा रहे। बिना तथ्य के बयान दे रहे हैं। पूरी पार्टी एकजुट है। जदयू के विधायक नीतीश कुमार में आस्था रखते हैं। राजद पहले अपने विधायकों को संभाले, क्योंकि राजद के ज्यादातर विधायकों का तेजस्वी यादव में भरोसा नहीं है। तेजस्वी के गायब होने से विधायक काफी परेशान रहते हैं।
दल-बदल कानून के हिसाब से क्या स्थिति-
दल-बदल कानून के तहत एक पार्टी को तोड़ने के लिए कम से कम दो तिहाई विधायक होने चाहिए। यानी 100 विधायक होते हैं तो 75 विधायकों को तोड़ना पड़ेगा। तब माना जाएगा कि विधानसभा से उस पार्टी का दल टूटकर दूसरी तरफ चला गया। राजद यदि जदयू को तोड़ेगा तो उसे भी दो तिहाई विधायकों को तोड़ना पड़ेगा। जदयू के 43 विधायक हैं। इस मुताबिक राजद को कम से कम 28-29 विधायकों को अपने पक्ष में लाना होगा। फिलहाल श्याम रजक के इस बयान ने बिहार की सियासत को काफी गर्म कर दिया है।