प्लस टू अतिथि शिक्षकों की मांग सौ फीसदी जायज : रामचंद्र पूर्वे
60 वर्ष तक सेवा नियमित करने की मांग को लेकर बिहार राज्य उच्चतर माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ ने दिया धरना
पटना। 60 वर्ष तक सेवा नियमित करने की मांग को लेकर आज बिहार राज्य उच्चतर माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ की ओर से एकदिवसीय महाधरना का आयोजन पटना के गर्दनीबाग स्थित धरना स्थल पर किया गया, जिसको संबोधित करते हुए बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री और राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि विद्यालय बिल्डिंग से नहीं, शिक्षक से चलता है। इसलिए सरकार को शिक्षकों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्लस टू अतिथि शिक्षकों की मांग 100% जायज है और इन लोगों की सेवा 60 वर्ष तक मुख्यमंत्री महोदय को नियमित कर देनी चाहिए, जिससे बिहार के छात्रों का भविष्य उज्जवल होगा। उन्होंने ये भी कहा कि अगर सरकार इस मामले में परीक्षा का अनिवार्यता समझती है तो विशेष परीक्षा का आयोजन कराये।
इससे पहले संघ द्वारा आयोजित महाधरना बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की गई कि बिहार के उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत 4203 अतिथि शिक्षकों की सेवा 60 वर्ष तक नियमित की जाये। साथ ही तत्काल एसटीइटी 2019 की परीक्षा में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को 4203 पदों की रिक्तता दिखाना शिक्षा विभाग बंद करें। संघ के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कुमार ने कहा कि अगर 25 सितंबर 2019 तक मुख्यमंत्री महोदय हमारे मांगों पर विचार कर आधिकारिक घोषणा नहीं करते हैं तो बिहार के सभी प्लस टू अतिथि शिक्षक मुख्यमंत्री महोदय के आवास के सामने आत्मदाह करने को विवश होंगे। इसकी सारी जिम्मेदारी राज्य सर बिहार सरकार के ऊपर होगी।
महाधरना में मुख्य रूप से जदयू के वरिष्ठ नेता पूर्व विधान पार्षद प्रोफेसर गुलाम गौस, पूर्व विधान पार्षद आजाद गांधी और संघ के संरक्षक बवन यादव ने भी मांगों का समर्थन करते हुए कि बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार से आग्रह किया कि जल्द से जल्द 4203 कार्यरत अतिथि शिक्षकों की सेवा नियमित करने की घोषणा करें, ताकि शिक्षक विद्यालय छोड़कर धरना प्रदर्शन करने को विवश न होना पडे। अतिथि शिक्षकों के धरना में मुख्य वक्ता के रूप में संघ के प्रदेश प्रवक्ता संतोष चंद्रकांत, तरन्नुम हफीज, खुशबू सिन्हा, माधुरी कुमारी, अजय कुमार लोहिया, पतंजलि कुमार, मोहम्मद सिराज आलम, सत्यपाल कुमार, विवेक सिंह, विश्वनाथ कुमार, राहुल राज आदि लोगों ने अपनी बातें रखी।